जो भी सीने में छुपा रक्खा है - ग़ज़ल - अबरार अहमद

अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1122  22

जो भी सीने में छुपा रक्खा है,
सब इस दिल को बता रक्खा है।

हमको मालूम था तुम आओगे,
हमने दरवाज़ा खुला रक्खा है।

रात बाक़ी है अभी थोड़ी बहुत,
अभी सूरज को सुला रक्खा है।

साँसों को कहो आहिस्ता चलें,
हमने पलकों को बिछा रक्खा है।

तुमको देखेंगे देखने वाले,
चाँद जुल्फ़ों में सजा रक्खा है।

अबरार अहमद - देवरिया (उत्तर प्रदेश)

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