ख़ुशी के आँसू - कविता - रमाकांत सोनी

ख़ुशियों के बादल मँडराए हृदय गदगद हो जाए,
भावों के ज्वार उमड़े ख़ुशियों से दिल भर आए।

नैनों में ख़ुशी के आँसू मोती बनकर आ जाते हैं,
हर्षित मन के आँगन में आनंद के पल छा जाते हैं।

उत्साह उमंगों का सागर उर में उल्लास जगाता है,
शुभ संदेश अंतर्मन ख़ुशियों की बौछार बहाता है।

आँखों से ख़ुशी के आँसू प्रसन्नता पा छलक जाते,
मन की मुरादे पूरी हो शुभ कार्य सिद्ध हो जाते।

कठिन परीक्षा तय करके मेहनत रंग दिखाती है,
भाग्य सितारे बुलंद हो झोली में सफलता आती है।

ख़ुशियों का पारावार नहीं मुस्कानों के मोती झरते,
ख़ुशी से आँसू निकल पड़े भावों में आनंद भरते।

ख़ुशियाँ भी क्या ख़ुशियाँ नैनों से झलक जाती है,
पुत्र विवाह, पुत्र रत्न पाकर प्रतिष्ठा बढ़ जाती है।

औरों के काम आए कोई अपार ख़ुशियाँ पाता है,
हर्ष आनंद से भरकर लोचन अश्रु से भर जाता है।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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