संदेश
सफलता मार्ग - कविता - भजन लाल हंस बघेल
सफलता मार्ग है बड़ा रंगीन। वीराने और बहार का सुंदर सीन। अपने काम में सदा रहो लीन। बनो अर्जुन, लक्ष्य साधो, मारो मीन! सफलता मार्ग में आ…
अजनबी सहेली - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
जब संजना की आँख खुली तो उसने ख़ुद को एक अनजान कमरे में बिस्तर पर पड़े पाया, उसने हिलने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ कि उसके सारे शरीर मे…
सभी सुखी चहुँ मुख प्रगति - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मानव जीवन चिर प्रगति, ग्रन्थ सनातन वेद। ज्ञान कर्म परहित जगत, शान्ति प्रेम संवेद॥ ज़िम्मेदारी सभी की, जन भारत उत्थान। प्रगतिशील आगम …
गदेहड़ी - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
गदेहड़ी वह है प्रतीक गाली का प्रतीक अनपढ़ का प्रतीक ग़रीबी का पिछड़ों से भी पिछड़ा ग़रीबों से भी ग़रीब, दरिद्र पर है वह भी इंसान ही और उससे भ…
नई किरणों के विरुद्ध - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
प्रकाश की रजत उज्ज्वला का दीप्त आवरण तुम्हारे विश्वास को थपकी दे रहा है मन की तरंग के आनंद खड़े हैं परिचित मार्ग प्रातः कोमलता की नई कि…
भाव हमारे - गीत - प्रमोद कुमार
उठे जो मन में तुम्हारी ख़ातिर, सदा पवित्र थे भाव हमारे। ना जाने कैसे सहा था हमने, अक्खड़पन भरे ताव तुम्हारे। जीवन पथ पर है कैसे चलना, क़…
गाँव का विद्यालय - कविता - विनय विश्वा
निगाहें देखती है गाँव की ओर हाँ वहीं गाँव जहाँ प्रेम की नाव चलती है जिस नाव के खेवनहार किसान, मज़दूर, गँवार हैं जो अपने लाल को ढाल बनान…
रचयिता - कविता - मयंक द्विवेदी
पटल दृष्टि चाँद तारों जिस प्रभु को पढ़ लिया, सृष्टि के रचयिता ने कण-कण से जग गढ़ लिया। प्रचण्ड भास्कर किरन है तो चन्द्र शीतल है बना, कही…
जिया ही नहीं - कविता - प्रवीन 'पथिक'
ज़िंदगी में बहुत कुछ मिल सकता था, लिया ही नहीं! चाहता था खुल कर जीऊँ, पर जिया ही नहीं। घुट-घुट कर जीता रहा, इच्छाओं को दबा के। कोई मिल…
प्रशिक्षण - कविता - विक्रांत कुमार
लंबी क़तारें योगा का अभ्यास कमरे की कश्मकश कक्षाओं में पाठयचर्या संबोधन द्रोणाचार्य-एकलव्य संवाद सा आवरण आत्मसंघर्ष और अध्यात्म की …
हर तरफ़ रंज है आलाम है तन्हाई है - ग़ज़ल - अरशद रसूल
अरकान : फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 1122 22 हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है, ज़िंदगी आज तू किस मोड़ पे ले आई ह…
चंट लेखिका - रिपोर्ताज - ईशांत त्रिपाठी
क्या लिखते हो रंजन भाई!! सच कहूँ तो जो कोई भी आपके लेखन को पढ़ेगा तो इन शब्द-अर्थ और विषय के सौन्दर्य में उसकी तादात्म्यता हो ही जाएँग…
प्रेम कविता - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो सिर्फ़ मेरा और मेरा है जिस पर सिर्…
गीत तेरे दर आने तक - गीत - सौरभ तिवारी 'सरस्'
माना देर लगा दी मैंने गीत तेरे दर आने तक लेकिन मेरा साथ निभाना माटी में मिल जाने तक। साँसों के थम जाने तक... हम तो माया में भूले थे सो…
पर्यावरण संरक्षण - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
निज राष्ट्र की पुनीत पावन धरा को, मिलकर हरियाली से प्रफुल्ल बनाएँ। पर्यावरण संरक्षण में हम दे योगदान, प्रकृति के प्रति आत्मकर्तव्य निभ…
झाँसी न दे पाऊँगी - कविता - राघवेंद्र सिंह
जब भारत पर अंग्रेजों ने, निज अधिकार जमाया था। राज्य हड़पने की नीति को, गोरों ने बनवाया था। तब झाँसी की एक नायिका, क्रान्ति ज्वाल बन चम…
जीवन क्या है? - लेख - श्याम नन्दन पाण्डेय
कुछ शब्दों, चीज़ों या विषयों को परिभाषित करना मुश्किल है जैसे प्रेम, मित्रता और जीवन। इन शब्दों का कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है। इस ले…
प्रेम का प्रतिदान कर दो - गीत - सुशील शर्मा
हृदय का तुम मान कर दो प्रेम का प्रतिदान कर दो। प्राण तुम हो, साँस तुम हो टूटे हृदय की आस तुम हो हार के अंतिम क्षणों में जीत का आभास तु…
एक सवाल - कविता - निवेदिता
छोटा सा है, एक ख़्याल, उफान मचाता एक सवाल। याद है रखना या भूल है जाना, पढ़े जा चुके पन्नों का फ़साना? लोग कहे वो बीता पल था, दर्दनाक म…
शरदाकुल कुहरा प्रलय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शरदाकुल कुहरा प्रलय, अगहन पूस बसात। सिहराती तनु अस्थियाँ, कौन सुने जज़्बात॥ विषम शीत कुहरा गहन, कहाँ वस्त्र तनु दीन। आज़ादी हीरक बरस,…
बिमारियाँ - कविता - गणपत लाल उदय
खान-पान में आजकल यह सन्तोष सभी रखिए, इस काल्पनिक दुनियाँ से अब-बाहर निकलिए। युवाओं में भी बढ़ रही है ये मोटापे से बिमारियाँ, बाहरी खान…
हे वसुधा के शृंगार - कविता - मयंक द्विवेदी
हे! वसुधा के शृंगार हे! प्रकृति के उपहार हे! सुवासित मल्हार हे! ऋतुओं के ऋतुराज देख रहे नयन शबनम शबनम के जलकण में श्याम मेघों के दर्प…
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