बिमारियाँ - कविता - गणपत लाल उदय

बिमारियाँ - कविता - गणपत लाल उदय | Hindi Kavita - Bimaariyaan | बीमारियों पर कविता, Hindi Poem On Dieses
खान-पान में आजकल यह सन्तोष सभी रखिए,
इस काल्पनिक दुनियाँ से अब-बाहर निकलिए।
युवाओं में भी बढ़ रही है ये मोटापे से बिमारियाँ,
बाहरी खाना-खाने से अब तो परहेज़ कीजिए॥

जीभ के थोड़े टेस्ट से शरीर को ना बनाओ वेस्ट,
करो रोज़ योग व्यायाम जो सबके लिए है बेस्ट।
एक बार वजन बढ़ गया तो होता ही रहेगा टेस्ट,
घर की रोटी-सब्जी खाना है सबके लिए बेस्ट॥

बनाकर रखना है सबको चटोरेपन से सदैव दूरी,
नहीं तो फिर बनती रहेगी ढेरों तरह की बिमारी।
चाहे घर का रूखा सूखा ही हो उसको खा लेना,
पछताओगे नहीं माने तो तुम लोग उम्र ये सारी॥

कम खाकर ही स्वच्छ नीर सब दबाकर पी लेना,
बढ़ रही है कम-उम्र में बिमारियाँ सम्भल जाना।
हार्टअटैक, हार्ट फेल, किडनी ख़राब ना होने देना,
मैदा से बनी मिठाई और पीज़ा ना कोई खाना॥

केमिकल युक्त कोल्ड ड्रिंक, ड्राई फ्रूट्स से बचना,
कम्पनियों का महिनों पुराना सामान मत खाना।
है विचारणीय गंभीर विषय इसे हल्के में न लेना,
२२-२३ के युवा भी अब सम्भल कर सब रहना॥


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