गीत तेरे दर आने तक - गीत - सौरभ तिवारी 'सरस्'

गीत तेरे दर आने तक - गीत - सौरभ तिवारी 'सरस्' | Hindi Geet - Geet Tere Dar Aane Tak - Saurabh Tiwari Saras
माना देर लगा दी मैंने
गीत तेरे दर आने तक
लेकिन मेरा साथ निभाना
माटी में मिल जाने तक।
साँसों के थम जाने तक...

हम तो माया में भूले थे
सो जग में भरमाए रहे
पाँचतत्व की कोरी चादर
उस पर धूरि चढ़ाए रहे
मुक्ति-पंथ बन जाना मेरा
मुझको मोक्ष दिलाने तक।
माना देर लगा दी मैंने
गीत तेरे दर आने तक...

ये सब है विधि के हाथों में
कब किसको क्या मिलना है
कौन बिन्दु, सागर पहुँचेगी
किसको, प्यासा रहना है
मुझको अपने संग बहा ले
सागर में मिल जाने तक।
माना देर लगा दी मैंने
गीत तेरे दर आने तक...

मुझको शलभ नहीं बनना जो
चूम शमा, को मिट जाए 
मुझको तो दीपक बनना है
सब अँधियारा छंट जाए
मेरी लौ को जीवित रखना
अमर ज्योति बन जाने तक।
माना देर लगा दी मैंने
गीत तेरे दर आने तक...

क्या साधन है, कौन साध्य है
मैं इससे, अनजाना हूँ
कर्म यही है धर्म निभाना
बस इतना भर जाना हूँ
अब साधन से मत भटकाना
तुझमे आन, समाने तक।
माना देर लगा दी मैंने
गीत तेरे दर आने तक...
पर तुम मेरा साथ निभाना
माटी में मिल जाने तक
साँसों के थम जाने तक...

सौरभ तिवारी 'सरस्' - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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