संदेश
जीवन में एक क्षण ऐसा आता है - कविता - रूशदा नाज़
एक क्षण ऐसा आता है कई वर्ष के संघर्षों के बाद मिलती असफलताएँ, निराशाओं को हम आनंद के रूप में लेते हैं आज नहीं तो कल अच्छा होगा स्वप्न …
गुल्ली डंडा - गीत - उमेश यादव
मचल रहा मन बहुत आज हम चलें गाँव की ओर। उठा हाथ में गुल्ली डंडा, ख़ूब मचाएँ शोर॥ कितना मनभावन होता है, बच्चों के संग खेलें। लकड़ी के ग…
ख़ुश्क तबियत हरी नहीं मिलती - ग़ज़ल - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 212 212 1222 ख़ुश्क तबियत हरी नहीं मिलती, और फिर रसभरी नहीं मिलती। लोग कहते कि चाँदनी देखो, …
बदलो जीवन चरित को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बदलो जीवन चरित को, भर पौरुष सतरंग। रखो भाव पावन हृदय, भारत भक्ति उमंग॥ बढ़ो अटल संकल्प पथ, बनो राष्ट्र पहचान। परमारथ पौरुष सफल, परह…
अनोखा स्वप्न - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर उदासी की, एक कहानी होती है। जिसे पढ़ना, सब पसंद करते हैं। भोगना नहीं। हर कहानी में एक दर्द होता है! जो भले हृदय में न हो, पर,…
विद्यालय संग सात दिवस - बाल कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
सोमवार को भोर हुआ, स्कूल जाने बड़ शोर हुआ। मंगलवार दिन बड़ा सुहाया, दोस्तो का हैं साथ दिलाया। बुधवार को सब मस्ती करते, टीचर पढ़ात…
नदी और बाढ़ - कविता - डॉ॰ प्रियंका सोनकर
नदी में बाढ़ का आना उसकी आँखों में चमक आना था इस बार बूढी दादी को छोटी-छोटी मछलियाँ याद आई साथ याद आया उसे अपना बचपन गवना से पहले जब…
जो न समझते पाक मुहब्बत - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
जो न समझते पाक मुहब्बत, उन ख़ातिर है ख़ाक मुहब्बत। जिन्हे तजुर्बा नहीं इश्क़ का, उनको रहती ताक मुहब्बत। नफ़ा खोजते हैं जो इसमें, उनकी…
तुम पर दाग़ है - रेखाचित्र - ईशांत त्रिपाठी
सोलह वर्षीय एकलौता बेटा हर्शल अपने पिता के डाँट से आहत भीतर ही भीतर चूर हो चुका था। जबसे उसे चेतना मिली तबसे आज तक अपने ऊपर होते कटु व…
तकरार - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
ध्यान से सुनो एक बात बताता हूँ, नई नहीं है फिर भी दोहराता हूँ। दुनिया की यही रीति यही क़ायदा है, दो की लड़ाई में तीसरे का फ़ायदा है। तीस…
तुम कौन हो? - कविता - सुनिल शायराना
एक अदृश्य एवं अलौकिक शक्ति, जो कहीं नहीं है, मगर है, जिसने समस्त ब्रह्मांड का सृजन किया, असंख्य जीवों का निर्माण किया, जो अनादि काल से…
हर सृजन कल्पना बन पलता - कविता - राघवेंद्र सिंह
निरवधि, उद्भवन धरातल पर, हर सृजन कल्पना बन पलता। हर काव्य स्वयं शृंगारित हो, हृदयारित-पथ पर है चलता। सिंचित हो करुणा-ममता में, हो…
गाँव का दर्द - कविता - संजय राजभर 'समित'
बचपन गाँव में जवानी शहर में एक बैल की तरह फिर बुढ़ापे ने कहा चल गाँव में, गाँव से पूछा– "तू पहले ही जैसा है कुछ भी नहीं बदला"…
पहली कक्षा - बाल कविता - गोलेन्द्र पटेल
हम हर दिन पढ़ने जाते हैं, हम सब यह गाते हैं, कलम के आगे झुकता है भाला, सबसे प्यारी है हमारी पाठशाला। हम पहली कक्षा के विद्यार्थी है…
छाया त्रासन है - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
नहीं फटकता अँधकार पहरुए हैं उजाले के। अँधकार का नाश करेंगे दिए दिवाली के। हथकड़ियाँ हाँथों में होंगी किसी मवाली के।। हैं कभी-कभी फ़साद …
ग़लत-फ़हमी और समझदारी - लघुकथा - राहिल खान
एक बार एक सुनार की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसका परिवार मुसीबत में पड़ गया उनके लिए भोजन के भी लाले पड़ने लगे। एक दिन मृत सुनार की पत्नी …
पड़ताल - कविता - विक्रांत कुमार
कई तरह का चेहरा हर रोज़ देखता हूँ कई मर्तबा देखता हूँ सोचता हूँ! फिर लगता हूँ– ढूँढ़ने उस रंग-बिरंगे चेहरों में ख़ुद को कई दिनों तक ढू…
सजगता के प्रति - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
जब मरना ज़रूरी है तो लड़ना भी ज़रूरी है निःशब्द लोगों के लिए जीवन क्या है? केवल एक जीने की प्रक्रिया है आए और गए शब्द वालों के लिए जीवन …
कुछ गाने को मन करता है - गीत - सुशील शर्मा
कुछ गाने को मन करता है, पर ज़ुबान पर ताले हैं। आशाओं के नील गगन में, भरे हौसलों का तन है, घोर अमावस अँधियारी है जलता दीपक सा मन है। चार…
हम बंजारे हैं - गीत - श्याम सुन्दर अग्रवाल
नहीं इजाज़त रुकने की, अब सफ़र करें हम बंजारे हैं, ना अपना कोई गली गाँव, ना कोई देहरी द्वारे हैं। संग साथ संगी साथी, ये सब हैं मन…
हृदय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शक्ति भक्ति सम्प्रीति रस, मधुरिम हो संसार। दया क्षमा करुणा हृदय, मानवता आधार॥ नवप्रभात अरुणिम हृदय, सुखद प्रगति शुभ देय। खिले कुसुम…
ख़ामोश ज़िन्दगी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर सुबह! एक ख़ामोश ज़िन्दगी लेकर आती है। जिसे न जीने की चाह होती है; न खोने का अफ़सोस। चेहरे पर, एक झूठी मुस्कुराहट टाॅंगे; दिन बी…
कलयुगी विभीषण - कहानी - अंकुर सिंह
प्रेम बाबू का बड़ा बेटा हरिनाथ शहर में अफ़सर के पद पर तो छोटा बेटा रामनाथ सामाजिक कार्यों से अपने कुल परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे थे। …
तुम्हारा साथ - कविता - योगेंद्र पांडेय
टूटते बिखरते सपनों को संभालने के लिए ज़रूरी है तुम्हारा साथ। तुम रहोगे साथ मेरे सह लेंगे हर दुख-सुख रो लेंगे एक पल के लिए तुम्हारे कं…
अब तो आराम करो माँ - कविता - रविंद्र दुबे 'बाबु'
गीत गाती लोरी सुनाती, साहित्यिक थाप से मुझे सुलाती, अवधी, गोंड, गाँव-डगर, खान-पान व्रत उपवास सिखाती, खेतों पर अन्न का दाना लाने, बैल…
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