हृदय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

हृदय - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | Dohe - Hridaya, हृदय पर दोहे, दिल पर दोहे. Heart Doha
शक्ति भक्ति सम्प्रीति रस, मधुरिम हो संसार। 
दया क्षमा करुणा हृदय, मानवता आधार॥ 

नवप्रभात अरुणिम हृदय, सुखद प्रगति शुभ देय। 
खिले कुसुम विश्वास जग, सुरभित भारत गेय॥ 

मूढ़ कौन ज्ञानी यहाँ, तौले कौन समाज।
तर्कयुक्त प्रमुदित हृदय, ज्ञानवान् हमराज॥ 

धीर शील संयम हृदय, धर्म नीति संसार। 
पौरुष जो हित कर्म जग, वही कीर्ति आधार॥ 

ईश भक्ति नितज्ञ शान्ति दे, प्रेरक पालन धर्म। 
पौरुष परहित हो सुपथ, समझ धर्म का मर्म॥ 

मूढ़ कौन ज्ञानी यहाँ, तौले कौन समाज। 
तर्कयुक्त प्रमुदित हृदय, ज्ञानवान् हम राज॥ 

हियतल किसलय चारुतम, लसिता ललित ललाम। 
पूनम की निशि चन्द्रिका, प्रिय बसन्त सुखधाम॥ 

बेहिसाब चाहत हृदय, साधन विविध प्रयोग। 
मृगतृष्णा ऐसी बला, निर्बाधित मन रोग॥ 

खल छल बल बंदी चरण, सत्ता पद बस धेय। 
बेहिसाब कुंठा हृदय, घृणा द्वेष मद श्रेय॥ 

अर्पित कवि दोहावली, हृदय मीत बन गीत। 
किया नेह परिवार जग, सुख दुख गम मन प्रीत॥ 

सब रोगों की बस दवा, करो प्रेम निर्लोभ। 
रोग शोक मिथ्या कपट, मिटे हृदय विष क्षोभ॥ 

आश हृदय संवेदना, क्षमा दया की चाह। 
लक्ष्य बने पथ जटिलतर, बस होगे गुमराह॥ 

रिमझिम बारिस हो रही, भरे खेत खलिहान। 
प्रीत हृदय सावन मिलन, ख़ुशियाँ मिले किसान॥ 

दमके बिजुली हृदय तल, घोर घटा घनश्याम। 
गुलशन प्रियतम आश मन, बारिश है अभिराम॥ 

पुलकित मन माँ भारती, देख समर्पण पूत। 
साश्रु नैन स्नेहिल हृदय, नित कृतज्ञ आहूत॥ 

क्षमा दया करुणा हृदय, राष्ट्र प्रेम पथ भक्ति। 
शील धीर साहस हृदय, मति विवेक हो शक्ति॥ 


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