ध्यान से सुनो एक बात बताता हूँ,
नई नहीं है फिर भी दोहराता हूँ।
दुनिया की यही रीति यही क़ायदा है,
दो की लड़ाई में तीसरे का फ़ायदा है।
तीसरा ये बात बहुत अच्छे से जानता है,
वो दोनों का सगा है कमज़ोरी पहचानता है।
ऐसा नहीं है कि वो दो ये बात नहीं जानते हैं,
पर क्या करें आदत से मजबूर नहीं मानते हैं।
तीसरे को अपने इस अलौकिक गुण का भान है,
यही तो उसकी दिव्य शक्ति है उसका ज्ञान है।
यह कला उसकी विरासत उसकी घुट्टी में है,
इसी के बल पर तो हर कोई उसकी मुट्ठी में है।
वो अकेला एक साथ दो को हराता है,
हाय-तौबा तू-तू मैं-मैं कराता है।
तीसरा अक्सर इसका फ़ायदा उठाता है,
दोनों को भड़काता और जमकर लड़ाता है।
तीसरा समझदार है वो यूँ ही बंदरबाँट मचाएगा,
उसकी भूख बड़ी है वो दोनों की रोटियाँ छीन खाएगा।
अगर इस तीसरे की चाल का पुख़्ता हल नहीं निकाला जाएगा,
तो हर दो की इज़्ज़त का सिक्का इसी तीसरे के हाथों उछाला जाएगा।
देवेश द्विवेदी 'देवेश' - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)