ख़ामोश ज़िन्दगी - कविता - प्रवीन 'पथिक'

ख़ामोश ज़िन्दगी - कविता - प्रवीन 'पथिक' | Hindi Kavita - Khaamosh Zindagi - Praveen Pathik. Poem On Life Hindi | ज़िंदगी पर कविता
हर सुबह! 
एक ख़ामोश ज़िन्दगी लेकर आती है। 
जिसे न जीने की चाह होती है;
न खोने का अफ़सोस। 
चेहरे पर, 
एक झूठी मुस्कुराहट टाॅंगे;
दिन बीत जाता है। 
और रात
सिसकियों के बीच खो जाती है। 
एक घना अँधेरा! 
दूर-दूर तक नज़र आता है। 
जहाँ प्रारब्ध–
औंधे मुॅंह पड़ा;
देखता है अतीत को। 
सपने पतझड़ के पत्तों-सा
बिखर जाते हैं। 
जिसे समय! 
अपने भारी पाॅंव से कुचल डालता है।
एहसास होता है, 
उसके होने का। 
पर, फ़र्क़ नहीं पड़ता! 
उसके पाने या खोने का। 


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