गाँव का दर्द - कविता - संजय राजभर 'समित'

गाँव का दर्द - कविता - संजय राजभर 'समित' | Village Kavita - Gaanv Ka Dard - Sanjay Rajbhar Samit | Hindi Poem On Village. गाँव पर कविता
बचपन गाँव में
जवानी शहर में
एक बैल की तरह
फिर बुढ़ापे ने कहा चल गाँव में,

गाँव से पूछा–
"तू पहले ही जैसा है
कुछ भी नहीं बदला"

गाँव ने कहा–
"जिसके बच्चे
जवानी में गाँव भूल जाते हैं
ऐसे नालायक़ बच्चों से
विकास कैसे होगा?"


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