संदेश
ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान : मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है, बिताने को अवध की शा…
बोल रे पपीहा बोल - गीत - रमाकांत सोनी
बोल रे पपीहा बोल, बोल मीठी वाणी रे। सावन आया झूम के, बरस रहा पाणी रे। बाग बगीचे महके, सारी धरा हर साई रे। रिमझिम झड़ी सावन की, हरिय…
मन में बसे श्री राम - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'
मेरे मन में बसे हो तुम्हीं श्री राम - २ शून्य से अनंत तक, धरती से अंबर तक, करता रहूँ तेरा ही गुणगान बोलो जय श्री राम, बोलो जय सियाराम …
तिलिस्म तेरा मुझ पर चला धीरे-धीरे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन तक़ती : 2122 2122 2122 तिलिस्म तेरा मुझ पर चला धीरे-धीरे, पत्थर सा दिल मेरा पिघला धीरे-धीरे। बि…
गुरु ही पूर्ण वंदना - कविता - राघवेंद्र सिंह
प्रशस्त पुण्य पंथ पर, अखण्ड दीप जल रहा। है ज्ञान ज्योति बन गुरु, वह विश्व को बदल रहा। है शांति का प्रतीक भी, वह शिष्य की उड़ान है। है …
गुरु महिमा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
गुरु ज्ञान का अमृत, जिसका न कभी अंत। अज्ञानता गुरुवर, करते हरण-हरण॥ दीप ज्ञान का जलाए, अंधकार को मिटाए। नमन वंदन गुरु, कमल चरण-चरण॥ कर…
गुरु वंदना - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
गुरु ही जीवन की माला है, इनके चरण पद्म का वंदन। याद आ रही बार-बार है, जिसने मुझे पढ़ाया था। मृदुल हाथ से थपकी देकर, जिसने मुझे जगाया थ…
तितली रानी - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
नव रंगों से है सजा चमन, आया सावन मास मधुर है। रंग बिरंगे पंख खोल चहुँ, तितली रानी पुष्प शिखर है। इतराती रति रागिनी बनकर, इठलाती तित…
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है - ग़ज़ल - मुहम्मद आसिफ अली
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है, दिया है हुस्न मौला…
राधा नाचें श्याम मन - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
राधा नाचें श्याम मन, श्याम सार संसार। मुरली मुरली में समा, नाचें पालनहार॥ नाचें पालन हार, सभी मन मोह लुभावे। मुरली की है तान, सार संसा…
माटी तेरी चन्दन है - बाल कविता - हनुमान प्रसाद वैष्णव
भारत माँ तेरे चरणो में हम बच्चों का वन्दन है। जल तेरा अमृत की धारा माटी तेरी चन्दन है॥ तेरे आँचल की छाया में माता हमने जन्म लिया। फूले…
राम से बाँध लो - कविता - ईशांत त्रिपाठी
मृदंग के धुन छंद पर दंग अति हृदयांग है, राम नाम मिलाप से उमंग छलकत आनंद है। सत्संग से जग-जंग में भंग भ्रम स्वांग है, राम नाम मिलाप से …
गाँव - गीत - पंकज कुमार 'वसंत'
जब-जब गाँव गया मैं अपने, हुई सभाएँ यादों की। कुछ पंचायत गली-गल्प की, कुछ पंचायत वादों की। (गाँव गली) कंकड-पत्थर ने पैरों पर, साँझ-सवेर…
राम दरबार - कविता - गायत्री शर्मा 'गुंजन'
द्वादश गृह है जन्म कुंडली स्थिर हैं लग्नेश, कुछ दलबदलू गोचर ग्रह अतिथिगण बन करें प्रवेश। आज उपाय एक करना है दूजा कल पर टाल, ऐसे ही भय …
तीर तरकश कमान बाक़ी है - ग़ज़ल - अरशद रसूल
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन तकती : 2122 1212 22/112 तीर तरकश कमान बाक़ी है, हौसलों में उड़ान बाक़ी है। जिस्म में थोड़ी' जान बाक़ी…
दुल्हन - कविता - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
मेहँदी भरे हाथ और किए सोलह शृंगार, मन में उथल पुथल कि जाने कैसा होगा ससुराल। नाज़ुक मन है, नाज़ुक तन है, और है दिल में भाव अपार, क्या सा…
जीने की परिभाषा सीखो - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
यदि परिवार चलाना हो तो, जीने की परिभाषा सीखो। थोड़े दिन का यह जीवन है, आना जाना लगा हुआ है। नश्वरता बैठी अग-जग में, यह क्रम अविरल बना …
कैसे लिखूँ शेष बचे शब्द - कविता - नौशीन परवीन
तुम्हारे द्वारा किए प्रेम में मेरे प्रेम के कई धागे उलझते ही चले गए मेरा अतीत मेरा भविष्य उलझे हुए रिश्ते सारे के सारे क़ैद हो चल…
प्रेम - कविता - स्नेहा
प्रेम कहाँ अधूरा होता हैं हँसी, ख़ुशी प्यार, पागलपन एहसास... सब कुछ तो मिल जाता हैं। कभी प्यारी सी मुस्कान तो कभी प्रेम से भरी हुई आँखे…
सागर किनारे - कविता - अनिल कुमार
एक शाम अकेले हम-तुम बाँहो में बाँहें डाले एक-दूजे के संग आओ, साथ चले सागर किनारे मेरे जीवनसाथी-हमदम एक संध्या सागर किनारे रेत पे चलते …
प्राचीन लिपियाँ - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
आइए आज हम प्राप्त करे प्राचीन लिपियों का ज्ञान। प्राचीन काल में अनेक लिपियाँ बढ़ाती थी भारत की शान। प्राचीन बौद्ध ग्रंथ ललित-विस्तर मे…
क़लम - कविता - संजय परगाँई
कभी अतीत की यादें, तो कभी भविष्य की बातें, कभी टूटे दिलों के हाल, तो कभी मोह मायाजाल, कभी अधूरी सी कहानी, तो कभी अजीब सुनसानी, कभी ज़मा…
प्रतीक्षा में भी प्रेम है - कविता - अनुराग शुक्ल 'अद्वैत'
पथ पर निकल पड़ा है, प्रेमी प्रेम से भरी आशा लेकर आनंद ही आनंद वहाँ, जहाँ आया प्रेम को लेकर। जारी है, प्रेम का सिलसिला जहाँ देखो वहाँ…
दिया रूपी जीवन - कविता - लक्ष्मी दुबे
थरथराता सहमा सा "दिया" रूपी जीवन अब अपने लौ के अंत को देखता है। अँधियारा सा हर ओर व्याप्त है कुछ बुझते हुए चिराग़ों को ये बड़…
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