बोल रे पपीहा बोल, बोल मीठी वाणी रे।
सावन आया झूम के, बरस रहा पाणी रे।
बाग बगीचे महके, सारी धरा हर साई रे।
रिमझिम झड़ी सावन की, हरियाली छाई रे।
घनघोर घटाएँ नभ आई, गाँव शहर ढाणी रे।
बोल रे पपीहा बोल, बोल मीठी वाणी रे।
उमंग उल्लास मन में, घट ख़ुशियाँ छाई रे।
प्यार के तराने उमड़े, घर-घर बंटे बधाई रे।
मुस्कानों के मोती बरसे, बयार मस्तानी रे।
बोल रे पपीहा बोल, बोल मीठी वाणी रे।
तन मन भीगे सारा, मनमयूरा भाए रे।
झूम-झूम अलबेले, गीत सुहाने गाए रे।
झूला झूले बाग गोरी, सज धज स्याणी रे।
बोल रे पपीहा बोल, बोल मीठी वाणी रे।
रमाकान्त सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)