तुम्हारे द्वारा किए
प्रेम में मेरे प्रेम के
कई धागे उलझते ही
चले गए
मेरा अतीत
मेरा भविष्य
उलझे हुए रिश्ते
सारे के सारे क़ैद
हो चले पक्षी की तरह
आज़ाद रह गया
तो केवल हृदय
जहाँ सुना पड़ा है
एक-एक शब्द
इस सुने शब्द की
देहरी पर किस तरह
लिखू शेष बचे
शब्द
नौशीन परवीन - रायपुर (छत्तीसगढ़)