अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है - ग़ज़ल - मुहम्मद आसिफ अली

अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती : 1222  1222  1222  1222

अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है,
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है।

इशारा तो करो मुझको कभी अपनी निगाहों से,
अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है।

अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता,
ख़ता कोई नज़र आए छुपाना भी ज़रूरी है।

अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब,
पड़े क़दमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है।

कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे सामने तो फिर,
उसे अब पेट भर कर के खिलाना भी ज़रूरी है।

अगर रोता नज़र आए कभी मस्जिद या मंदिर में,
बड़े ही प्यार से उसको हँसाना भी ज़रूरी है।

मुहम्मद आसिफ अली - काशीपुर (उत्तराखंड)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos