मन में बसे श्री राम - गीत - हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल'

मेरे मन में बसे हो तुम्हीं श्री राम - २
शून्य से अनंत तक, धरती से अंबर तक,
करता रहूँ तेरा ही गुणगान
बोलो जय श्री राम, बोलो जय सियाराम
बोलो जय श्री राम जय सियाराम।

करते भक्तों का रक्षण, कर दो चित्त अति उत्तम
और हर लो मन के सभी दानवों के प्राण
कहता है जग सारा, है बस तेरा ही सहारा
तुम ही तो साधक सिद्ध सुजान
बोलो जय श्री राम, बोलो जय सियाराम
बोलो जय श्री राम जय सियाराम।

कर दो मन में तृप्ति, दे दो छल से मुक्ति
करें अनन्त तक तेरी ही भक्ति,
मर्यादा तुम से ही, प्रेम भी तुमसे ही
जपते रहे बस तेरा ही नाम
बोलो जय श्री राम, बोलो जय सियाराम
बोलो जय श्री राम जय सियाराम।

प्रेम की भाषा हो, पाप के नाशक हो
तुम ही तो कण-कण में विद्यमान
त्रेता से कलियुग तक, सृष्टि के अंत तक
चहुँ दिश तेरा ही नाम गुंजायमान
बोलो जय श्री राम, बोलो जय सियाराम
बोलो जय श्री राम, जय सियाराम

हिमांशु चतुर्वेदी 'मृदुल' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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