तिलिस्म तेरा मुझ पर चला धीरे-धीरे - ग़ज़ल - एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि'

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122  2122  2122

तिलिस्म तेरा मुझ पर चला धीरे-धीरे,
पत्थर सा दिल मेरा पिघला धीरे-धीरे।

बिन आब के, आँखियाँ पत्थरा गई,
मृग नयनो से तेरे, ऐसे छला धीरे-धीरे।

शबे-रोज़ तड़फती रही उल्फ़त मे मेरी,
जुस्तुजू मे मेरी ख्व़ाब पला धीरे-धीरे।

मसर्रत का आलम मेरा इस तरह रहा,
सोचा मैंने अब ये टली बला धीरे-धीरे।

तसब्बुर मे भी न रहा बेताब तेरे लिए
गेसुओं मे तेरे फंसता चला धीरे-धीरे।

सेहरा मे लगी बजने शहनाईयाँ 'जैदि'
बेबसी मेरी कि मैं हाथ मला धीरे-धीरे।

एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)

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