अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122 2122 2122
तिलिस्म तेरा मुझ पर चला धीरे-धीरे,
पत्थर सा दिल मेरा पिघला धीरे-धीरे।
बिन आब के, आँखियाँ पत्थरा गई,
मृग नयनो से तेरे, ऐसे छला धीरे-धीरे।
शबे-रोज़ तड़फती रही उल्फ़त मे मेरी,
जुस्तुजू मे मेरी ख्व़ाब पला धीरे-धीरे।
मसर्रत का आलम मेरा इस तरह रहा,
सोचा मैंने अब ये टली बला धीरे-धीरे।
तसब्बुर मे भी न रहा बेताब तेरे लिए
गेसुओं मे तेरे फंसता चला धीरे-धीरे।
सेहरा मे लगी बजने शहनाईयाँ 'जैदि'
बेबसी मेरी कि मैं हाथ मला धीरे-धीरे।
एल॰ सी॰ जैदिया 'जैदि' - बीकानेर (राजस्थान)