राम से बाँध लो - कविता - ईशांत त्रिपाठी

मृदंग के धुन छंद पर दंग अति हृदयांग है,
राम नाम मिलाप से उमंग छलकत आनंद है।
सत्संग से जग-जंग में भंग भ्रम स्वांग है,
राम नाम मिलाप से संचरण  सुशांत पंथ है।
पुष्टि होती पुण्य की पुनीत परमोद्गार है,
राम नाम मिलाप से पाप विकल बेहाल हैं।
अतिरूष्ट होना तुम सदा काम (लोभ) और व्यभिचार से,
राम नाम मिलाप से विफल सभी विलाप है।
स्वप्न सार सुंदर संसार,
बिन वेदना ही त्याग दो,
सुख समझ सुचि स्वीकार,
बिन संशय राम से राग लो।
विनती करूँ बारंबार कहूँ,
अरे बार-बार ही ध्यान दो,
मानस चतुर यह छल करें,
इसे राम से बरबस बाँध लो।

ईशांत त्रिपाठी - मैदानी, रीवा (मध्यप्रदेश)

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