संदेश
बदनामी से पहले - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
रूठ तो हम भी ले पर मनाने यहाँ कौन आता हैं। दर्द में करहा तो हम भी ले पर बाटने यहाँ कौन आता है। जिंदगी में महक तो हम भी ले, पर फूलों सा…
तुम भी हाथ बढ़ाओ तो सही - गीत - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
जीवन में मीत बनाते हैं सभी। तुम भी हाथ बढ़ाओ तो सही। कुछ और ही बयां करूँ क्या? चाहत से भी और बड़ा क्या? सुमन सुमुखि आगे आओ तो सही। गैर…
तू सज-धज के नज़र आती हैं - नज़्म - कर्मवीर सिरोवा
शफ़क़ की पैरहन ओढ़ें शाम जब मिरे मस्कन आती हैं, सुर्ख़ मनाज़िर में तू दुल्हन बनी सज-धज के नज़र आती हैं।। तन्हा रात हैं, शोख़ जज़्बातों के क़ाफ़ि…
प्रकृति और मानव - कविता - अनिल भूषण मिश्र
असंख्य जीव प्रकृति ने उपजाया सब में बुद्धि का संचार कराया।। मानव भी उनमें एक समाया पर बुद्धि में वह रहा सवाया।। अतिरिक्त बुद्धि से…
देना चाहो तो - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
रात अगर देना चाहो तो, चाँद साथ में देना। दिवस अगर देना चाहो तो, सूर्य साथ दे देना। सदा संतुलन नियम प्रकृति का, इसे छेड़ना घातक- निर्णय …
बलिदान - कविता - गणपत लाल उदय
यह रचना मेरे मित्र अनिल कुमार (जम्मू) को समर्पित है जो सुबह, 15 नवंबर 2020 को हम सबको छोड़ कर ऐसा गया कि अमर हो गया। मैं ईश्वर से प्रा…
सफलता - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम, अमर हो अजर हो आगे बढ़ो तुम। रुको न कहीं पर अकेले बढ़ो तुम न हो साथ कोई अकेले चलो तुम। माया का वह दीप…
आत्ममंथन - कविता - डॉ. कुमार विनोद
मूल्यहीनता की छाया और भ्रष्टाचार का धूप है, जाने क्यूं! आजकल आईना चुप है। हर बात एक बिंदु पर आकर सलट जाता है इसीलिए आईना टूटता बिखरता …
इंतज़ार - कविता - अंकुर सिंह
दिल के इस बगिया में, तेरे लौट आने का इंतजार है। आओ मिलकर अब मिटा दे, बीच पड़ी है जो दीवार।। दिल मचलता है अब भी मेरा, मोहब्बत तु…
उषा - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
पक्षियों का मधुर कलरव, धरा हुई मगन, मानो चूम रहे हो, धरती और गगन। अंधकार को चीरती उषा की पहली किरण, रेन-बसेरा छोड़ आए चिड़िया तितली हिरण…
सद्भाव - कविता - विकाश बैनीवाल
प्रेम, दया करुणा का प्रतीक है सद्भाव सच्ची श्रद्धा भक्ति है, उपकार,सादग़ी विशेष गुण है सद्भावना मनुष्य की शक्ति है। राष्ट्र के प्रत…
अपनालो स्वदेशी - बुंदेली गीत - डॉ. अरविंद श्रीवास्तव "असीम"
अपना लो, स्वदेशी ये भइया! अपना लो। डूब रहे उद्योग हैं सब रे निर्यातक दिख रहे हैं डरे माल देश को घरन मंगा लो। अपना लो, स्वदेशी ये भइया!…
हम तुम्हे सिखा देंगे - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
हमको एक मौक़ा दो, हम तुम्हे बता देंगे। प्यार कैसे करते हैं, हम तुम्हे सिखा देंगे।। अपने सारे ग़म दे दो, मेरी हर खुशी ले लो, हँस के तुम…
मैं लिखता हूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
मैं कलम-तलवार लिए घर से निकलता हूँ, दिल-ए-दर्द पर बहुत भारी वार करता हूँ। मैं हूँ एक अलबेला-सा मस्तमौला ऐसा, ग़म और खुशी की कविताएं लिख…
एकई सौ - बुंदेली ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
सबई जगा कौ हाल दिखा रऔ एकई सौ सबकौ सूज़ौ गाल दिखा रऔ एकई सौ दूद, तेल, पिट्रोल, सिलेंडर, फीसन में मेंगाई कौ जाल दिखा रऔ एकई सौ अफरा त…
कदम मत बाहर बढ़ा - कविता - अनिल भूषण मिश्र
तू बेवज़ह अपने कदम मत बाहर बढ़ा देख बढ़ता कोरोना का मामला देश चिंता में पड़ा कभी सोचा तुमने कर्मयोगियों की कठिन तपस्या बेबस गरीब कैसे झेल …
निश्छल मन - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैं अबोध नादान हूँ तभी तो खुशहाल हूँ, छल, प्रपंच, ईर्ष्या, द्वेष से दूर अपने में मस्त महकती, चहकती हूँ। बस आप सब से विनती है मैं जैसी …
घाव और लगाव - कविता - अमित अग्रवाल
अनजान किसी मोड़ पर किसी अजनबी से जब हो गया लगाव, आखिर तोहफे में मिलना ही था घाव। ये घाव चुभता है हर एक साँस एक कसक बनकर, जैसे ज़िन्दगी …
दीपोत्सव - कविता - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
किसी जगह पर दीप जले अरु कहीं अँधेरी रातें हों । नहीं दिवाली पूर्ण बनेगी, अगर भेद की बातें हों ।। ऐसे व्यंजन नहीं चाहिए, हक ह…
दीपावली - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
तैयारी दीपावली, कोरोना निर्भीत। जान माल परवाह बिन, लिया रोग को जीत।। १।। रखा नियम को ताख पर, क्या माने निर्देश।…
खुशियों वाली दिवाली - कविता - गणपत लाल उदय
सोचा इस बार जरूर जाऊँगा छुट्टी दिवाली मिलेंगे मेरे मित्र, माँ-बाप, बच्चें व घरवाली। जगमग करते दीप जलेंगे शाम होगी निराली सबकी संग में…
शिक्षादीप - कविता - डाॅ. तरुणा सिंह
आओ चलो हौसलों की हमसब शिक्षक अलख जगाए! कोविडकाल में दरवाजे से एक दिया शिक्षा की जलाए!! लघु प्रयासों से ही सही शिक्षा को बच्चों तक लेकर…
त्योहारों का मौसम - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
त्योहारों का मौसम आया सबकी व्यस्तता बढ़ाया, अभी करवा चौथ बीता है, अब धनतेरस, जमघंट के बाद दीवाली की तैयारी है, भैय्या दूज, चित्रगुप्त प…
आओ मनाये खुशियों का पर्व - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
आओ मनाये खुशियों का पर्व, झूमें गायें इसमे सब आओ जलायें उन दियों को, जो वर्षो पहले बूझ चूके थे वजह क्या था, गलती किसकी थी, सारी बातों …
दीप जलेंगे - बाल कविता - मोहम्मद मुमताज़ हसन
आया दीवाली का त्यौहार, दीप जलेंगे मिट्टी के! नहीं चाहिए चीजें विदेशी, अपनाएंगे अब हम स्वदेशी! चाईनीज लाइटों को हटाकर दीप जलेंगे म…
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