आओ मनाये खुशियों का पर्व,
झूमें गायें इसमे सब
आओ जलायें उन दियों को,
जो वर्षो पहले बूझ चूके थे
वजह क्या था, गलती किसकी थी,
सारी बातों को भूलकर
आओ आज मै और तुम हम हो जायें,
जैसे दिया और बाती
आओ हम सब मिलकर,
जलायें खुशियों का दिया
आओ मनाये खुशियों का पर्व,
झूमें गायें इसमे सब
आनन्द कुमार "आनन्दम्" - कुशहर, शिवहर (बिहार)