आया दीवाली का त्यौहार,
दीप जलेंगे मिट्टी के!
नहीं चाहिए चीजें विदेशी,
अपनाएंगे अब हम स्वदेशी!
चाईनीज लाइटों को हटाकर
दीप जलेंगे मिट्टी के!
पापा लाए दीपक-मोमबत्ती,
लाया भैया बहुत पटाखे!
झूम रही है मुनिया देखो,
फुलझड़ियां-अनार नचाके!
छत-छज्जों, घर आंगन में
दीप जलेंगे मिट्टी के!
बच्चे सारे मिलजुलकर,
बनाएंगे सुंदर रंगोली!
सखी-सहेली आ जाएंगी फिर-
होगी मस्ती, हँसी-ठिठोली!
जगमग झिलमिल तारों सा
दीप जलेंगे मिट्टी के!
आया दिवाली का त्यौहार,
दीप जलेंगे मिट्टी के
मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)