एकई सौ - बुंदेली ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"

सबई जगा कौ हाल दिखा रऔ एकई सौ 
सबकौ सूज़ौ गाल दिखा रऔ एकई सौ 

दूद, तेल, पिट्रोल, सिलेंडर, फीसन में 
मेंगाई कौ जाल दिखा रऔ एकई सौ

अफरा तफरी मची चैन सें कोउ नईंयाँ 
सुख कौ परौ अकाल दिखा रऔ एकई सौ 

दबे क़र्ज़ सें बोझ और बड़तई जा रऔ 
सब खों ठांड़ौ काल दिखा रऔ एकई सौ 

गाँव, सैर, बस्ती, क़स्बा, और टोला में 
गुस्सा और उबाल दिखा रऔ एकई सौ 

कब तक चलहै खेल ठगी, मनमानी कौ 
ठांड़ौ बड़ौ सवाल दिखा रऔ एकई सौ 

हरयाणा, यू पी, बिहार, और कर्नाटक 
काश्मीर, बंगाल दिखा रऔ एकई सौ 

सरकारें बदलीं नईं बदलौ और कछू 
जयपुर, छग, भोपाल दिखा रऔ एकई सौ 

महेश कटारे "सुगम" - बीना (मध्य प्रदेश)

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