त्योहारों का मौसम - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

त्योहारों का मौसम आया
सबकी व्यस्तता बढ़ाया,
अभी करवा चौथ बीता है,
अब धनतेरस, जमघंट के बाद
दीवाली की तैयारी है,
भैय्या दूज, चित्रगुप्त पूजन की भी
तो अपनी बारी है
फिर छट्ठ की भी तैयारी है,
बड़ी मारा मारी है।
घर, मकान, दुकान, प्रतिष्ठान की
सफाई चल रही है,
हर परिवार में रोज
बजट बन रहे हैं,
बच्चे तो खूब चहक रहे हैं
माँ बाप परेशान हैं
महँगाई से हलकान हैं
ऊपर से कोरोना
अकड़ दिखा रहा है
काम धंधे, रोजगार में
व्यवधान बन रहा है
पर क्या कर सकते हैं?
त्योहार मनाने के बिना
रह भी तो नहीं सकते,
क्योंकि त्योहार तो मनाना है
उल्लास के भाव तो जगाना है।
मन के संताप मिटाना तो है
दुःख दर्द, पीड़ा, अभावों  से 
थोड़ा ही सही
अपने को बचाना ही है,
उत्साह उल्लास दिखाना ही है।
क्योंकि
त्योहारों का मौसम आया
खुशियों का संसार लाया।

सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)

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