कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)
मैं लिखता हूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
सोमवार, नवंबर 16, 2020
मैं कलम-तलवार लिए घर से निकलता हूँ,
दिल-ए-दर्द पर बहुत भारी वार करता हूँ।
मैं हूँ एक अलबेला-सा मस्तमौला ऐसा,
ग़म और खुशी की कविताएं लिखता हूँ।
मैं हरदम रहमत की झोली भरकर,
हर गली-चौराहें से निकला करता हूँ।
मैं दुःख बटोरकर सुख बाँटता फिरता हूँ,
हर इंसान के "कल्याण" की बात लिखता हूँ।
मैं भीड़भाड़ से अकेला ही निकलकर,
अंधेरी रातों में भी उजाला ढूँढ़ता हूँ।
मैं रंज़-ओ-ग़म-ए-आलम के हाल में,
हर पीड़ित जन की व्यथा लिखता हूँ।
मैं हरघड़ी प्रेम का इज़हार करता हूँ,
अपना घर छोड़, दीदार दीनों से करता हूँ।
मैं अपने हर गज़ल और हर गीत में,
अपने दिवानेपन की कथा लिखता हूँ।
मैं हरदम सच्चाई की बाँह थामकर,
झूठ और पाखंड से बाहर निकलता हूँ।
मैं कपोल कल्पित इतिहास को ठुकराकर,
सबको चाहे कड़वी लगे, वो बात लिखता हूँ।
मैं हर-दिल में स्वाभिमान को जगाकर,
दबित दिलों में भी हुंकार भरता हूँ।
मैं अपनी कलम-तलवार को थामकर,
धुंधले अरमान-ए-इरादों को लिखता हूँ।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर