सद्भाव - कविता - विकाश बैनीवाल

प्रेम, दया करुणा का प्रतीक है 
सद्भाव सच्ची श्रद्धा भक्ति है, 
उपकार,सादग़ी विशेष गुण है 
सद्भावना मनुष्य की शक्ति है। 

राष्ट्र के प्रति त्याग-बलिदान 
प्रियजनों के लिए मान-सम्मान है, 
जहाँ लाज़ वहाँ सद्भावना 
हर प्राणी का गर्व है, अभिमान है। 

संस्कृति सिखाती है सद्बुद्धि
उच्च समाज का संस्कार है, 
सद्भावना ही जीवन का अंग है 
सद्भाव से चलता संसार है। 

लोगों के प्रति लिहाज़ ईमानदारी 
सद्भावना दिल से उठी प्रभाव, 
एकता, मेलजोड़, एकजुटता का 
जनसंचार सिखाता है सद्भाव। 

विकाश बैनीवाल - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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