शिक्षादीप - कविता - डाॅ. तरुणा सिंह

आओ चलो हौसलों की हमसब शिक्षक अलख जगाए!
कोविडकाल में दरवाजे से एक दिया शिक्षा की जलाए!!

लघु प्रयासों से ही सही शिक्षा को बच्चों तक लेकर जाए!
सब मिलकर भावी पीढ़ी का भविष्य बनाने को आगे आए!!

नाना शैक्षणिक गतिविधियों से बच्चों का मनोबल बढ़ाए!
स्वास्थय बल बढ़ाने को प्रातः-सन्ध्या योग अभ्यास कराए!!

गली-मुहल्लों में खेलते हुए बच्चों को इकट्ठा कर आए!
ज्ञान दीप पाने को उनके मन में अन्दर से उत्साह जगाए!!

चाहे जैसे भी बाल जीवन सवारने हेतु शिक्षादीप जलाए!
आनलाईन, ऑफलाइन से कुछ तो प्रयास कर आए!!

महासंक्रमण का प्रभाव स्कुल बंदी पर कभी न होने पाए!!
राष्ट्र को सक्षम भारत बनाने में वैचारिक दीप सब जलाए!!

विश्व को आर्थिक व मानसिक क्षति से निरन्तर बचाए!
महासंक्रमण से निकलने की साहस जग में भर लाए!!

आओ चलो  हौसलों की  हमसब शिक्षक अलख जगाए !
दिवाली में अनेक दियों में से एक दिया शिक्षा की जलाए !!

डाॅ. तरुणा सिंह - बचेली, दन्तेवाड़ा (छत्तीसगढ़)

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