संदेश
पिय आवन की - भोजपुरी कविता - बजरंगी लाल
काली घटा घनघोर घिरी, बदरा बरसे बिजुरी चमकी। हिय में है उठत हिलोर सखी, पिय आवन की, पिय आवन की।। बोलत दादुर मोर पप…
योगक्षेमं वहाम्यहम् - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
आज मनाएँ योग दिवस , मिलें करें सब योग। प्राणायाम भी साथ में , स्वयं भगाएँ रोग।।१।। योग न केवल साधना ,…
चीन के समान का बहिष्कार करने का समय - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अपने वीर सैनिकों की शहादत का बदला लेने के लिए चीन के सामान का बहिष्कार तुरंत करना जरूरी है। चीन ने जिस थाली में खाया उसी में छेद कि…
जहाँ चाह वहाँ राह - लेख - शेखर कुमार रंजन
यह बात बिलकुल सही है कि जीवन में आप भले ही कितना भी क्यों ना पा लो किन्तु फिर भी पाने की इच्छा कम नहीं होती हैं यह बात अलग है कि कु…
बलिदान विजय को नमन करूँ - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
भारत माँ के अमर सपूतों, भर अश्क नैन नित नमन करें। राष्ट्र भक्ति अर्पित निज जीवन, बलिदान विजय को नमन करें। सैल्यूट सतत…
लोभ पाप को निमंत्रण देता है - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
मानव लोभ के वशीभूत होकर ठोकर खाता है। अंतत: वो भस्मीभूत होकर स्वयं ही मृत पाता है। हम जीवन भर धन की प्राप्ति हेतु उद्यम करते हैं।…
मेरा दिल एक पागल है - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़
मेरा दिल एक पागल है, प्यासा शायद बादल है, नजरें देखें राह तुम्हारी, सूना आँख का काजल है, दिल में है तस्वीर तुम्हारी, …
जीवन मूल्य - लेख - शेखर कुमार रंजन
मैं सकारात्मक सोच के साथ शक्तिशाली, आत्मनिर्भर व दूरदर्शी बनना चाह रहा हूँ। सकारात्मक सोच कहती हैं कि अपने हितों की रक्षा करने की श…
तिरंगे में लिपटी शहादत को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शहीदों की आत्मा हम लोगों का नमन तभी स्वीकार करेगी जब उनकी पवित्र शहादत का बदला ले लिया जाए। वाकई चीन के नापाक इरादों को जवाब देन…
हम होंगे कामयाब एक दिन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
वीर पुरुषों की सन्तति हम, महावीर विश्वास सतत मन, तत्पर रक्षा सम्मान वतन, हम होंगे कामयाब एक दिन। अ…
जीवन अनमोल है इसे व्यर्थ न जाने दीजिए - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
जीवन अनमोल है, इसे व्यर्थ न जाने दीजिए। अपने लिए न सही परिवार के लिए संभालिए। दूसरा कैसा व्यवहार करता है न ख्याल कीजिए। आप अन्य…
ऐसा तो केवल सैनिक ही होता है - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार
न हंसता है, न रोता है वो रातों को न सोता है जो जीता है अपने देश के लिये ऐसा तो केवल सैनिक ही होता है । वो धीर है,गम्भीर है निड…
लक्ष्मी बाई - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
लक्ष्मी बाई बन मनू जब, पग धरणि पर धर दिया । मानो स्वयं ही दुर्गमा ने , जन्म धरती पर लिया । सुघड़ता मे लक्ष्मि जैसा, रूप प्रभु …
धैर्य ही हर समस्या का समाधान हैं - कहानी - शेखर कुमार रंजन
मैंने आज लोगों की समस्याएं जानने चला किन्तु समाधान वैसे लोगों को चाहिए थी जिन्हें वास्तव में कोई समस्या ही नहीं थी। कुछ लोगों की …
तोड़ो चीन गरूर - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अमन चैन और मित्रता , है समुचित संदेश। प्रश्न राष्ट्र सम्मान का , ले बदला हर देश।।१।। दुश्मन को दुश्मन …
मुस्करा देते हैं, पर प्यार बाक़ी है - ग़ज़ल - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
दो कोई आवाज़, बज उठें साज़। उनके अंदाज पै, मुझे तो है नाज़। नहीं चाय नहीं अब चाह बाक़ी है। अब तो बस एक हीआह बाक़ी है। मय तो म…
गुल्म - कविता - मयंक कर्दम
सुंदर गुल्म वेदना सी, अभ्यास में चेष्टा रखती। आदर नेत्र में भरे हुए, प्रफुल्लित रुचि रखती॥ मृदा में हक जमाये, जीर्ण को गु…
रिश्तों का हाल - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जब पहले वाले लोग सभी पत्तों मे खाना खाते थे । घर में मेहमां के आते ही वह हरे भरे हो जाते थे । माटी के वर्तन का प्रयोग ज…
नित वसन्त पतझड़ परे - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
चाहत सम पर्वत शिखर , करे नहीं संघर्ष। धीरज साहस आत्मबल, बिना नहीं उत्कर्ष।।१।। मधुशाला संघर्ष का , तिक्त प…
भरोसा - कविता - शेखर कुमार रंजन
इंसान किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं मैंने अपनों पर भरोसा कर एक योजना बनाई बार- बार उस योजनाओं पर बातें की और उसने एक कान से …
कहाँ तक झूट बोलोगे - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
कहाँ तक झूंट बोलोगे हक़ीक़त को छुपाने में। तुम्हे मिलता है क्या बोलो हमें यूँ वरगलाने में। हमारी मौत भी उनके लिए है ताश का इक्का, …
सुशांत सिंह श्रधांजलि - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार
सुनो नाम तो बेशक उसका सुशांत था , पर अंदर से वो बहुत ही अशांत था । हष्ट -पुष्ट शरीर और मासूम था चेहरा, टी वी और फिल्मों में खूब ज…
आत्महत्या किसी समस्या का समाधान कदापि नहीं - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
अपने आप मे बड़ा भयावह सा डरावना सा शब्द है ख़ुदकुशी। जो की स्वाभाविक मृत्यु से बिल्कुल अलग है ,हालांकि मृत्यु का तो हर रूप ही भयावह ह…
उम्मीद - कविता - शेखर कुमार रंजन
मै हूँ जमीन पर अभी पर मेरी हौसलों में दम है छूऊँगा एक दिन जरूर आसमान को क्योकिं मेरे जमीर में दम है। अच्छी किश्मत ले लो मुझसे क…
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