जहाँ चाह वहाँ राह - लेख - शेखर कुमार रंजन

यह बात बिलकुल सही है कि जीवन में आप भले ही कितना भी क्यों ना पा लो किन्तु फिर भी पाने की इच्छा कम नहीं होती हैं यह बात अलग है कि कुछ लोग पाना तो बहुत कुछ चाहते है किन्तु हाथ पैर हिलाना नहीं चाहते है और धीरे धीरे ऐसे लोगों की संख्या में इजाफा भी होते जा रहा है किन्तु हमें इस बात से नहीं मुकरना चाहिए कि ईश्वर ने हम सबको बहुत खास बनाकर भेजा है।

इस संसार में आप बहुत बड़ी कमी को पूरा कर रहे हैं जो भी आपके पास है उसका कोई न कोई कारण हैं साथ ही जो आपके पास नहीं है उसके भी बहुत सारे कारण है इसलिए जो भी आपके पास नहीं है उसके लिए हर वक़्त दुःख महसूस करने के बजाय उन चीजों की कद्र कीजिये जो आपके पास है।जिस दिन इस सत्य को आप मन में बसा लेंगे की ईश्वर ने आपको स्पेशल बनाकर भेजा है, उस दिन से आप कमियों की बातें करना छोड़ देंगे।दुनिया में बहुत से लोग ऐसे है जिनके शरीर में तो कमी है किन्तु उन्होंने अपने आत्मविश्वास के दम पर उस कमीयों को बहुत ही बौना बना दिया है और यहीं कारण है कि वे आज किसी पर निर्भर नहीं है।इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि जीवन की कमान अपने हाथों में लिजिये और आ जाइये मैदान में क्योंकि आपको लड़ना है इस बेपरवाह दुनिया में अपने लिये खुद जगह बनानी है और यह तब ही संभव होगा जब आप अपने बारे में ऊँचा सोचेंगे।जब भी आपके मन में हीनता, कमी, असफलता एवं हताशा के विचार हावी हो, तो आप अपनी आंखें एक पल के लिए बंद कर लेना और ऐसे लोगों की कल्पना करना जिनके जीवन में आपसे ज्यादा मुश्किलें आये हो किन्तु इतना होते हुए भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की है।

मैं यहीं चाहूँगा कि आप जीवन में एक बार जरूर महत्वपूर्ण निर्णय लेकर पूरी ताकत से मैदान में उतर जाए और पूरी ईमानदारी से मेहनत करें और अपनी सफलता के लिए कार्य करना प्रारंभ करें।
यदि जीवन की राहों में कही उलझ रहें हो, तो आत्ममंथन, आत्मनिरीक्षण करके खुद से पूछिए की क्या तुम मेरे सपनों को साकार करोगे यदि आपको सकारात्मक आवाज अंदर से सुनाई दे तो समझ लेना कि यदि पूरी निष्ठा से कोई कार्य किया जाए तो उसमें सफलता अवश्य ही प्राप्त होती हैं और फिर तब अपने आप पर दृढ़ विश्वास करें कि हा यह मैं कर सकता हूँ और यह करने में मुझे खुशी मिलेगी।तब मैं यह यकीन से  कह सकता हूँ, कि इंसान यदि सच्ची मन से चाह ले तो दुनिया का कोई ऐसा काम नहीं जो वह नहीं कर सकता किसी ने चाहा लोहा के बने वस्तु को आसमान में उड़ाना तब ही हवाई जहाज उड़ना सम्भव हो पाया बिना चाहे हुए हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोग आपस में बात नहीं कर पाते और बिना चाहे कोई चाँद और मंगल पर नहीं पहुंच पाता किसी ने सच ही तो कहा है कि जहां चाह वहाँ राह इसलिए कहता हूँ कि आप जैसा बनना चाहते है वैसे ही पहले आपको सोचना अर्थात चाहना होगा यदि आप चाह लिए और उस सन्दर्भ में अर्थात उस अनुपात में कार्य कर लेते हैं तो आपका सफलता निश्चित है।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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