सुशांत सिंह श्रधांजलि - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

सुनो नाम तो बेशक उसका सुशांत था ,
पर अंदर से वो बहुत ही अशांत था ।
हष्ट -पुष्ट शरीर और मासूम था चेहरा,
टी वी और फिल्मों में खूब जलवा बिखेरा।
दौलत और शोहरत काफी कमाई थी,
पर मन को शान्ति नहीं मिल पाई थी।
अंदर से दुःखी और बाहर से मुस्कराता था,
पता नहीं वो क्या हासिल करना चाहता था।
कौनसी ऐसी चाहत थी जो उसे मिल न सकी,
नाचुक से दिल पर चोट कोनसी झिल न सकी।
जिंदगी से नाता तोड़ कर मौत को गले लगा लिया,
परिजनों और चाहने वालों को गहरा जख्म दे दिया।
तेरा यूँ अचानक हमसे दूर बहुत दूर चले जाना,
बर्दाश्त नहीं कर पायेगा " पंवार " ये जमाना ।।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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