अंतत: वो भस्मीभूत होकर स्वयं ही मृत पाता है।
हम जीवन भर धन की प्राप्ति हेतु उद्यम करते हैं।
अपितु लालच में दूसरों का नुकशान करते हैं।
यहां तक देखा गया है कि यामिनी मैं भी निकलते हैं।
कुछ चुराने को मिल जाए,उससे गुरेज नहीं करते हैं।
पड़ोसी का भी कुछ भला हो तो उसे भी रोकते हैं।
घर में धन हो तो भी वे धर्म का कार्य नहीं करते हैं।
लालच मैं आते हैं लोग, और अपना जीवन व्यर्थ करते हैं।
वक्त रहते संभल जाओ, आप जीवन में सामर्थ्य रखते हैं।
दिनेश कुमार मिश्र "विकल" - अमृतपुर , एटा (उ०प्र०)