जीवन मूल्य - लेख - शेखर कुमार रंजन

मैं सकारात्मक सोच के साथ शक्तिशाली, आत्मनिर्भर व दूरदर्शी बनना चाह रहा हूँ। सकारात्मक सोच कहती हैं कि अपने हितों की रक्षा करने की शक्ति खुद में पैदा करो।सकारात्मक सोच कहती हैं जबतक आप नहीं बदलेंगे आपका परिवार नहीं बदलेगी और तब समाज को बदलने की बात करना मूर्खता हैं। हमारे जीवन मूल्य इतने सशक्त होनी चाहिए कि हम आगे बढ़कर किसी के साथ गलत नहीं कर सके। परंतु इतनी ताकत भी होनी चाहिए की कोई हमारे साथ गलत नहीं कर सके। हमें ऊर्जावान बनने की अतिआवश्यकता हैं, हमें प्रत्येक काम को जबरदस्त उत्साह एवं ऊर्जा के साथ करना चाहिए। मैं निर्भीकता के साथ तथा बिना लज्जा के बहुत कुछ आगे लिखूंगा जिसके लिए मुझे निंदा भी प्राप्त हो सकती हैं और प्रशंसा भी लेकिन फिर भी मैं सच लिखूंगा और इस बात की मुझे खुशी भी है।

मैं एक बड़ा महापुरुष के रूप में मैं दुनिया में याद किया जाना चाहूँगा। मेरे द्वारा लिखी गई हर बात आपको शायद पसंद नहीं भी आये किन्तु आपको हम अपनी सोच की ओर थोड़ा सा भी आकर्षित कर पाऊँ तो मैं अपने आप को श्रेष्ठता के काबिल समझूंगा।इस दुनिया में कोई भी सौ फीसदी परफेक्ट नहीं होता हैं, आप भी नहीं हो मैं भी नहीं हूं किन्तु फिर भी मुझे मुझपर गर्व है क्योंकि मैं 'मैं' हूं और मैं यह बात जनता हूँ, कि मुझ जैसा और कोई नहीं। क्योंकि मैं अद्वितीय हूँ सिर्फ मैं ही क्यों? आप भी अद्वितीय हो दुनिया के प्रत्येक मनुष्य अद्वितीय हैं। यदि जीवन में सच में कुछ करना चाहते हो या सच्ची खुशी पाना चाहते हो, तो आप कभी भी किसी की कम्पेयर खुद से नहीं करना या फिर कभी किसी जैसे  बनने की कोशिश मत करना क्योंकि तुम 'तुम' हो तुम अपनी हुनर को पहचानों और खुद को एक नई पहचान दो। प्रत्येक मनुष्य में एक भिन्न प्रकार की गुण होती हैं जो उसे सबसे अलग बनाती हैं।  हमें बस अपनी उस गुण को पहचानने की जरूरत है और फिर उसे निखारने की और उस गुण व हुनर से ही दुनिया को सुन्दर बनाने की आवश्यकता है।जीवन में प्रत्येक इंसान कोई न कोई गलती तो की ही होती हैं आपने भी की होगी हा कुछ गलतियां मुझसे भी हुई हैं और उन गलतियों के बारे में सोंचते हुए मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता हैं किन्तु अतीत की गलतियों को वर्तमान में तो सुधारा जा सकता है न।

हमें आत्मनिरीक्षण कर अपनी गलतियों को समय- समय पर सुधारते रहना चाहिए। ताकि हममें सद्बुद्धि विराजमान हो सके और हम कोई बड़ा महान कार्य को अंजाम दे सके। प्रत्येक मनुष्य को जीने का एक ठोस मकसद होना चाहिए एक मंजिल होनी चाहिए आपकी भी होगी यदि नहीं है तो आज ही बना लीजिये क्योंकि मैंने बनाया हैं मैं अपने जिंदगी को पूरे दम से जी रहा हूँ मुझे खुशी है कि मेरे पास जीने का ठोस मकसद है और उस राह में पूरे शक्ति के साथ बिना किसी परवाह किये बढ़ रहा हूँ। किन्तु अभी मैं अपने लक्ष्य के बारे में कुछ भी बताना नहीं चाहूँगा क्योंकि इसके भी कुछ कारण है किंतु सही समय पर बताने में कोई संकोच भी नहीं करूंगा। आप लोग भी अपने सपनों को बिना किसी को बताये पूरा करें क्योंकि मेरी सोच है कि अपने सपनों को तबतक दुनिया से छुपाकर रखनी चाहिए जबतक की आप उसे पूरा न कर ले। आज ही अपना एक लक्ष्य बनाइए और उस लक्ष्य को पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दीजिए। उम्मीद है कि आप ऐसा जरूर करोगे और अपने मंजिल को पाकर ही दम लोगे।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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