जल ही जीवन है - कविता - महेन्द्र सिंह राज

जल ही जीवों का जीवन है,
ना जल को बरबाद करो। 
बहुत ज़रूरी जल संरक्षण,
सरवर जल आबाद करो।। 

बिना पानी तव कृषि सुखानी, 
भूमि सूख होगी मरुथल।
दुनिया में जीवन ना सम्भव,
हुआ ख़तम गर धरनी जल।।

जलनिधि में जल भरा हुआ है,
काम फ़सल के ना आवै।
जब सूखा पड़ जाता जग में,
जल को जन इत उत धावैं।।

बाँध बना कर बारिश जल को, 
जुटा रखो साबाद करो।
बहुत ज़रूरी जल संरक्षण,
सरवर जल आबाद करो।।

जल ही जीवों का जीवन है,
ना जल को बरबाद करो। 
बहुत ज़रूरी जल संरक्षण,
सरवर जल आबादकरो।। 

करखानों का दूषित पानी,
छोड़ नदी में देते हो।
होता नीर पूरा बरबाद,
खुद पर संकट लेते हो।।

जगत युद्ध अब अगला होगा, 
पीने के जल के ख़ातिर।
आने वाले संकट टालो,
तू बन नहीं कुटिल शातिर।।

जलवायु शुद्ध रखना है तो,
तरु लगाओ तरु बढा़ओ।
पर्यावरण प्रदूषण रोको,
जीवों को गले लगाओ।। 

महत्ता सभी समझो जल की
ख़ुद से नहीं विवाद करो।
बहुत ज़रूरी छल संरक्षण,
सरवर जल आबाद करो।।

जल ही जीवों का जीवन है,
ना जल को बरबाद करो। 
बहुत ज़रूरी जल संरक्षण,
सरवर जल आबाद करो।। 

महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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