मेरा दिल एक पागल है - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़

मेरा दिल एक पागल है,
प्यासा शायद बादल है,

नजरें देखें राह तुम्हारी,
सूना आँख का काजल है,

दिल में है तस्वीर तुम्हारी,
हर धड़कन ये पायल है,

छत से देखें निकलोगे कब,
चाहत में दिल घायल है,

कहते सब गुस्ताख़ है हम,
पागल दिल बस पागल है।

रोहित गुस्ताख़ - दतिया (मध्यप्रदेश)

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