तोड़ो चीन गरूर - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

अमन   चैन    और  मित्रता , है   समुचित  संदेश।
प्रश्न    राष्ट्र    सम्मान  का , ले    बदला  हर  देश।।१।।

दुश्मन   को   दुश्मन   समझ , करो नहीं  विश्वास।
धोखा  दे   वह  कभी  भी , हिंसा  अरु   उपहास।।२।।

उठा शस्त्र कर  रिपुदमन , हो  कब तक बलिदान।
तहस   नहस  चीनी  करो , अमर  वीर    सम्मान।।३।।

क्षमा    नहीं   प्रतीकार  अब , बंद  चीन  व्यापार।
धारा    बदलो   नीति    की , करो    शत्रु   संहार।।४।।

चीन      बना    दुस्साहसी , शक्ति   सम्पदा  चूर ।
महाशक्ति   अब  तुम   स्वयं , तोड़ो   चीन  गरूर।।५।।

ड्रैगन   की    धोखाधड़ी ,  बनी   सदा  की नीति।
करो   आर अरू पार अब , चीन  न समझे प्रीति।।६।।

गलवानी   चीनी   झड़प , बीस   जवान   शहीद।
तजो   अहिंसा  राह   को , बनो  न अमन  मुरीद।।७।।

सम्प्रभुता    माँ    भारती , जागो    रे    सरकार।
रक्षा   यश  इज्ज़त   वतन, लो  चीनी  प्रतिकार।।८।।

बंद   करो  वार्ता   कथा , भारत    चीन  विवाद।
करो   कूच   नासूर  पर , नाश  चीन   अवसाद।।९।।

जय शंकर फिर काल बन ,तेजस अग्नि त्रिशूल।
पृथिवी का रिपु चीन  है , विश्वास  करो  न भूल।।१०।।

कवि निकुंज लहु खौलता ,  देख   देश  हालात।
रहो   एक  इस   वक्त  में , दमन  शत्रु  जज़्बात।।११।।

लाओ फिर अरुणिम समय , महाशक्ति सम्मान।
पार  शतक  अपराध  अब , करो चीन अवसान।।१२।।

वीर   शहीदों  ने  किया , पलटवार   इस  चीन ।
हिन्द  चीन  की  बन्धुता , तोड़ो  बनो   न  दीन।।१३।।

बहुत हुआ अब दिलकशी , केवल युद्ध इलाज।
दो   सेना   अधिकार अब , निर्णायक आगाज।।१४।। 

एक  तरफ़  वार्ता  करे , छिपकर  सीमा  घात।
महाशक्ति   कहता  स्वयं , लाठी    डंडा  लात।।१५।।

अधिकारी   सेना   वतन , ले  निर्णय सीमान्त।
निर्णय ली  सरकार  ने ,  करो  शत्रु  का अन्त।।१६।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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