धैर्य ही हर समस्या का समाधान हैं - कहानी - शेखर कुमार रंजन

मैंने आज लोगों की समस्याएं जानने चला किन्तु समाधान वैसे लोगों को चाहिए थी जिन्हें वास्तव में कोई समस्या ही नहीं थी।
कुछ लोगों की समस्याएं वास्तविक थीं किंतु वे चिन्ता कर इसे बढ़ाने में लगे थे जबकि इसे इस समस्या से लड़ने की आवश्यकता थी।
समस्या होने पर रोने से क्या फायदा क्या रोने से समस्याओं का हल निकल जायेगी बिलकुल नहीं। हम सभी जानते हैं कि हमें अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही ढूंढ़ना हैं और हम धैर्य रखते हुए हर समस्याओं का समाधान ढूंढने में सफल भी हो पाते हैं। कुछ लोगों ने कहा मेरी समस्याएं बहुत बड़ी है मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है मैं क्या करूं? मैंने कहा इस समस्या का समाधान तो बहुत ही छोटी है तुम अपनी गलतियों के लिए पूरी श्रद्धा से माफ़ी मांग लो तुम्हारी यह समस्या का समाधान चुटकी में मिल जायेगी।

कुछ लोगों ने कहा कि मेरी समस्या कुछ ऐसी है कि मैं दिन रात अपने दुश्मनों से बदला लेने के बारे में सोचता रहता हूं पर इसमें मैं असफल हो जाता हूँ। मैंने कहा इस समस्या का समाधान तो और सरल है तुम अपने दुश्मनों को क्षमा कर दो जिसके कारण तुम रात दिन जो नकारात्मक विचारों में लीन रहते हो इससे मुक्ति मिल जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा भी महसूस करोगे अपने अंदर तभी कुछ लोगों ने कहा मैं क्या करूं की मुझे कोई समस्या ही नहीं हो? मुझे हँसी आ गई और मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि आप जो भी करते हो सही या गलत पहले उसे स्वीकार करो और फिर सही को स्वीकार करो और गलत को सुधार करो। यदि ध्यान दिया जाएं तो ऐसी बहुत सारी समस्याएं हमारे आस -पास के लोगों को परेशान करते रहता हैं कुछ ऐसी उलझन होती है जिसे समय के संदर्भ में लोग समझ ही नहीं पाते है कि क्या सही है और क्या गलत और ऐसी स्थितियों में ही वे कुछ बुरे कदम उठा लेते है उन्ही बुरे कदमों में से एक आत्महत्या करना है। आप ही बताओ जो जिंदा रहकर खुद के साथ इंसाफ नहीं कर सकता जो जिंदगी से हार मान लेता है उसे क्या कोई दूसरा इंसाफ दिला सकता हैं मेरा मानना है बिलकुल भी नहीं उसके मृत्यु के पश्चात तो और भी लोगों को अपने अपने तरह की कहानियों को गढ़ने का मौका मिल जाएगा और ऐसी स्थिति में उसे इंसाफ कभी भी नहीं मिलेगी क्योंकि जिसे सच को हथियार बनाकर लड़ना चाहिए था वो तो जिंदगी से बिना लड़े ही चला गया अब किसको क्या परी हैं। हाँ यदि कुछ लोगों को लगता हैं कि उसके साथ कुछ बुरा हुआ है तो ऐसे में कुछ दिनों के लिए आपके लिए लड़ेंगे किन्तु फिर थक हार कर अपने अपने कामों में लग जाएँगे। ऐसा हो सकता हैं कि एक समय आपको ऐसा लगे कि किसी एक समस्या का समाधान आपके पास नहीं है तो ऐसी स्थिति में धैर्य रखें अगले पल उस समस्या का समाधान जरूर ही मिल जायेगी किन्तु उस समय भी उस समस्या का समाधान आप स्वमं ही करेंगे। आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है मरने में बहादुरी नहीं है आप ही सोचिये इसके जाने के बाद इसके परिवारवालों पर क्या बितती होगी वो तो एकदम टूट कर बिखर जाते होंगें न और आप ही सोचिये अन्तोगत्वा आत्महत्या करने से एकतरफा कष्ट, तकलीफ़ या कोई और घाटा आत्महत्या करने वाले या इसके परिवारवालों को ही न होता हैं और इसके दुश्मन तो जो चाहते रहते है उसमें वे सफल हो जाते हैं आखिरकार निष्कर्ष यही निकलता है कि चाहे स्थिति कोई भी हो जिंदगी और मृत्यु में से मृत्यु का चयन करना कायरता हैं बहादुरी जिंदगी की उलझनों को सुलझाने में है बहादुरी जीवन में आए प्रत्येक समस्याओं के समाधान करने में है बहादुरी खुद को मजबूत और जिंदगी को आसान करने में है आखिरकार तो संघर्ष ही जीवन हैं और जीवन का असली आनंद भी तो संघर्ष में ही है।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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