संदेश
भाई - कुण्डलिया छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भाई बिन सूनो जगत् जस पादप बिन पात। हृदय सिन्धु में धड़कता वहीं सहोदर भ्रात॥ वही सहोदर भ्रात बने जीवन की धारा। जब संकट की मार समर्पि…
जाति, जाती नहीं - कविता - शिवानी कार्की
माँ, आपने मुझे बचपन से सिखाया था... कि पानी देवता हैं सबका साँझा है और तुम तो शुक्र करो कि तुम इंसान हो... इतना बड़ा लोकतंत्र है और ना…
कहने को बस चराग़ थे हम - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
कहने को बस चराग़ थे हम काग़ज़ के घर में आग थे हम अंक से मुझे आँकना ना अब शून्य में... अंक से भाग थे हम। अर्ज़ थी तो बात थी कुछ मर्ज़ीयों म…
जो बचाना चाहते हो बच भी जाएगा मगर - ग़ज़ल - रोहित सैनी
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 2122 212 जो बचाना चाहते हो बच भी जाएगा मगर, एक दिन मौसम सुहाना दिल जला…
सैनिकों को नमन - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
वे वहाँ पर देश की दीवार बनकर के खड़े हैं, दुश्मनों को क्या पता है, वीर पर्वत से अड़े हैं। जो कोई हथियार की धमकी दिया करते हैं हमको, सै…
श्री बागेश्वर धाम - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जय जय बोलो जय हनुमान जय जय श्री बागेश्वर धाम सीय राम भज आठो याम बन जाएँगे बिगड़े काम जय जय श्री बागेश्वर धाम। जिनकी कृपा से जीवन सँवरे …
हम हैं डरे-डरे - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
फफक-फफक कर आँखें रोईं आँसू नहीं झरे। तुषार छाया शहर-शहर है। जाड़ा ढाता रहा क़हर है॥ मौसम के जैसे देखो तो लगते घाव हरे। आपसदारी लोग भूलत…
ख़ुशियों के गीत - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ख़ुशियों के गीत गा पाएँ हम, अरमान दिली उद्गाता है। बिन गेह वसन क्षुधार्त्त प्यास, दे मदद ख़ुशी हर्षाता है। नित ख़ुशियाँ दे मुस्कान अध…
कहते कहते चुप हो गया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कहते कहते चुप हो गया, स्वयं को सोच, विगत को नोच, आगत का बोझ, आँखों से सब रो गया। उनसे आगे, किस से भागे, क्षण थे कब से अभागे। जीवन को ज…
काठ का कलेजा - कविता - संजय राजभर 'समित'
एकदम सून्न सी लाचार बदनसीब एक माँ अपने तेरह साल के बच्चे को परदेश जाते हुए देख रही थी सरपट दौड़ती गाड़ी ओझल हो गई फिर भी ताक रही थी सो…
दुःख हमें भी हुआ था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
दु:ख हमें भी हुआ था; जब हमारी साँसें रुकी थी। दर्द तुम्हें भी होगा; जब तुम्हारा व्यापार बंद होगा। भावनाओं का खेल पूर्ण विराम लेगा। विच…
प्रेम की भाषा - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
प्रेम की भाषा बोल रही। 2 नज़रों ने नज़रों में देखा लहरों पे लहरें डोल रही। प्रेम की भाषा बोल रही। 2 ना जाने हम उसका नाम ना जाने घर, ठौर,…
जीवन के गीत - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति
1 एक उम्मीद है आशा है क्या चाह हृदय में पलता है पल्लवित होते छिपे भावों में कौन खाधोत सा जलता है एक विश्राम तक जाते-जाते भूल जाता हूँ …
नशा मुक्त भारत - गीत - उमेश यादव
नशे के विरुद्ध अब, समर सज चुका है, नशा मुक्त भारत हो, शंख बज चुका है। समर सज चुका है, शंख बज चुका है॥ जवानी नहीं अब, नशे मे डुबेगी,…
याद तुम्हारी मैं बन पाता - गीत - रमाकान्त चौधरी
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता। मुझे बुलाती ख़्वाबों में तुम अपना मधुर मिलन होता। रोज़ मुझे तुम लिखती पाती, उसमें सब सपने ल…
गाँव की छाँव - कविता - राजेश राजभर
अब नहीं रहना चाहता, कोई गाँव में, आम, नीम, पीपल, महुआ की छाँव में। क्या यही यथार्थ है! हमारे गाँव का! शहर जा रहा, हर आदमी तनाव में। अब…
चोकर की लिट्टी - कविता - गोलेन्द्र पटेल
मेरे पुरखे जानवर के चाम छिलते थे मगर, मैं घास छिलता हूँ मैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ मेरे सिर पर चूल्हे की जलती हुई कंडी फेंकी गई …
एक पल - कविता - सुशील शर्मा
टूट गया छूट गया स्वप्न एक रूठ गया। एक पल था रुका नहीं एक आँसू लुढ़क पड़ा। लगा कि वो अब मिला फिर कहीं छिटक गया खिसक गया सरक गया। फिर मिले…
हे मानव - कविता - सचिन कुमार सिंह
हाड़ माँस के इस झोली पर, हे मानव! हो क्यों इतराते? रक्त धरा की वैतरणी में, जीवन रूपी नाव चलाते। झोली एक दिन फट जाएगी, नौका वैतरणी तट प…
कोरस में गातीं - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
बहुत दिनों से नहीं आ रही पुरवा की पाती। धूप-दरीचे हिले-मिले हैं। मिटते शिकवे और गिले हैं॥ मन मेरा बंगाली है तो तन है गुजराती। छानी में…
स्वामीये शरणम् अय्यप्पा - कविता - गणपत लाल उदय
विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में यह मन्दिर भी है ख़ास, जहाॅं विराजे अयप्पा स्वामी यही उनका निवास। विकास के देवता माने जाते यह कहता इतिहास…
मानवीय प्रदूषण - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
आँखों को वह अब नोच रहा, मानव! अब भी क्या सोच रहा? तेरे ही हठ का कारण यह, है ख़तरनाक उच्चारण यह। वह कलयुग का खर दूषण है, मानव! वह '…
बुद्ध - कविता - संजय राजभर 'समित'
एकाग्र चित्त होकर जो अन्तर्मुखी है उदार होकर गहन सोच में सारे मनोवृत्तियों को समेटे आत्म अवलोकन के लिए प्रकृति के स्वरूप में लीन है गह…
असफलता से सीखें - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
सदा पराजय आलसी, व्यसन कलह संलग्न। मुफ़्तखोर निन्दक मनुज, दंगा हिंसा मग्न॥ अहंकार पद पा मुदित, मदमाता इन्सान। पराजय विचलितमना, खो विव…
तेल की कमी में बाती - कविता - रोहित सैनी
जैसे मौत आती है; और... "है" का "था" हो जाता है! दीप आँधियों में एकदम से बुझ जाते हैं! तेल की कमी में बाती... टिमटि…
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर