जीवन के गीत - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति

जीवन के गीत - कविता - सुरेन्द्र प्रजापति | Hindi Kavita - Jeevan Ke Geet - Surendra Prajapati. Hindi Poem On Life. जीवन पर हिंदी कविता
1
एक उम्मीद है आशा है
क्या चाह हृदय में पलता है
पल्लवित होते छिपे भावों में
कौन खाधोत सा जलता है
एक विश्राम तक जाते-जाते
भूल जाता हूँ पंथ सदा
मंज़िल तक जाने को आतुर
कौन श्रम को अर्पित करता है

2
भरने दे अभी रंग चित्र में
अद्भुत कृति को गढ़ने दे
पथ पर विचित्र फूल खिला दे
कंटक पर साँसों को चलने दे
इस दर्द की पीड़ा मधुर जान 
तू व्यर्थ इतना घबराता है
बीते रात, प्रभात आने दे
मेरे दीपक को जलने दे।

3
कहो जुगनू कौन, कैसा सुख?
छिप-छिप चमक दिखाने में
यह कैसा मदहोश उमंग है
जलते हुए परवाने में
स्वाधीनता में आनंद है, लेकिन
बता मनोहर, तोता बोलो
लौह पिंजड़े में कैसा सुख है
कितनी तड़प है दाने में।


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