कहते कहते चुप हो गया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा

कहते कहते चुप हो गया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा | Hindi Kavita - Kahte Kahte Chup Ho Gaya - Hemant Kumar Sharma
कहते कहते चुप हो गया,
स्वयं को सोच,
विगत को नोच,
आगत का बोझ,
आँखों से सब रो गया।

उनसे आगे,
किस से भागे,
क्षण थे कब से
अभागे।
जीवन को जैसे तैसे ढो गया।

भरे नयनों से,
दिखाते आइनो से,
रहे सहे तानों से।
भीड़ में भीड़ सा खो गया।

दो क़दमों की बात थी,
कुछ पलकों की रात थी,
चाहे कितनी मात थी।
मंज़िल के समीप क्यों,
उत्साह सो गया।


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