याद तुम्हारी मैं बन पाता - गीत - रमाकान्त चौधरी

याद तुम्हारी मैं बन पाता - गीत - रमाकान्त चौधरी | Prem Geet - Yaad Tumhaari Main Ban Paata - Ramakant Chaudhary. प्रेम पर गीत
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता।
मुझे बुलाती ख़्वाबों में तुम अपना मधुर मिलन होता।

रोज़ मुझे तुम लिखती पाती,
उसमें सब सपने लिखती।
जितने ख़्वाब सँजोए मैंने,
उनको तुम अपने लिखती।
लिखती प्रियतम मुझको अपना,
मुझपर सब अर्पण होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता।

लोग नगर के सभी पूछते,
तुमसे मेरा हाल पता।
अधर तुम्हारे चुप ही रहते,
सबकुछ देते नयन बता।
दूर भले ही हम तुम रहते,
जन्मों का बंधन होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता।

तुम्हें चिढ़ाती सखियाँ सारी,
नाम हमारा ले लेकर।
झुंझलाती चिल्लाती सब पर,
ख़ुश होती तुम छिप-छिप कर।
मेरी छवि तुमको दिखलाता,
इक ऐसा दर्पण होता।
याद तुम्हारी मैं बन पाता तो जीवन जीवन होता।

रमाकांत चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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