टूट गया
छूट गया
स्वप्न एक रूठ गया।
एक पल था
रुका नहीं
एक आँसू
लुढ़क पड़ा।
लगा कि वो अब मिला
फिर कहीं छिटक गया
खिसक गया सरक गया।
फिर मिलेगा
कल कभी
बस इसी सुकून में
बात बीतती गई।
जो मिला वही बहुत
बस इसी सुकून में
रात बीतती गई।
काश वो मिल पाता!
सुशील शर्मा - नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)