भाई बिन सूनो जगत् जस पादप बिन पात।
हृदय सिन्धु में धड़कता वहीं सहोदर भ्रात॥
वही सहोदर भ्रात बने जीवन की धारा।
जब संकट की मार समर्पित कभी न हारा॥
'अंशु' पोष जस फूल वही लाए अरुणाई।
शत्रु देखि भगि जाय संग जब होता भाई॥
शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)