संदेश
जो बीत गया उसे जाने दो - कविता - अनूप अंबर
जो बीत गया उसे जाने दो, फिर से नव स्वप्न सजाने दो। टूट के बिखरे खंडहरों में, फिर से दीप जलाने दो। गिरना उठाना फिर से चलाना, सुनो मुसाफ़…
एक बार जो टूट गया तो - कविता - प्रवीन 'पथिक'
एक बार जो टूट गया तो, शायद ही जुड़ पाएगा! प्रेम या जीवन के सपनें, हुए पराए जो थे अपने। ऑंखें खोई हो आकाश में, न उर पीड़ा मिट पाएगा। एक…
प्रियतम - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली'
प्रियतम तेरे नाम की लिखी मैंने इक चिट्ठी कुछ शिकायतें इस चिट्ठी में कुछ बातें खट्टी-मीठी प्रियतम संग नाता ऐसा प्यारा वो मझधार मैं उसकी…
श्री जगन्नाथ जी महिमा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम। नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम। तिहूँ सुशोभित पृथक् रथ…
छोड़ भतैरा जाएगी - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
तोते की देख के चोंच, उठने लगा संकोच। कितना ही खा पाएगी? छोड़ भतैरा जाएगी॥ सौंप बाग़ की डोर उसे, कोस रहा था और किसे। मैं ख़ुद, ख़ुद से अं…
मेरे हिस्से कविता आई - कविता - राघवेंद्र सिंह
जिनका विस्तृत हृदय पात्र था, उनके हिस्से सिंधु आया। जिनका शीतल मन था शोभित, उनके हिस्से इंदु आया। जिनकी वाणी में था गर्जन, उनके हिस्से…
साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं - ग़ज़ल - चन्द्रा लखनवी
अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती: 2122 2122 2122 212 साथ में जब आपको अपने खड़ा पाता हूँ मैं, क्या बताऊँ किस क़द-ओ-क़…
रोते दोनों सारी रात - कविता - राहुल भारद्वाज
कैसे भूल सकूँगा मैं, वह काली-काली अंधियारी रात। बहा ले गई जो मेरा गुलशन, कैसी थी वो काली रात॥ माँ का सर पर आँचल था, महका करता आँचल था।…
अपने उनका ख़्याल - कविता - मुकेश वैष्णव
अपनों की भूख छुपाने वो, गाँव से शहर निकला था, बच्चों की आँखों में नमी थी, और आसमान भी पिघला था। पत्नी की तो पूछो मत, वो, दरवाज़े पर आ…
मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान: मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन तक़ती: 1222 1222 122 मुसलसल हम अगर मिलते रहेंगे, पुराने ज़ख्म सब सिलते रहेंगे। इजाज़त तुम अगर दे दो मुझे…
क़हर ढा रहा आसमाँ - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
क़हर ढा रहा आसमाँ, बरस रही है आग। सर पे गमछा बाँध ले, जाग मुसाफ़िर जाग॥ जाग मुसाफ़िर जाग, बदन गर्मी से उबले। राति मसन की फ़ौज, सुनावै क…
प्रकाशन - कविता - राजेश 'राज'
जाने क्या ढूँढ़ती हैं तुम्हारी आँखें मुझमें तुमसे पूछ्ना चाहता हूँ पर नहीं सूझता कोई प्रश्न जिससे देखें तुझमें और ज्ञात हो जाए जिज्ञासा…
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं। मैं भी मुस्कुराते हुए... लखनऊ की ऊँची इमारतों को, शॉपिंग मॉल्स को, तारीख़ी इमारतों को और लखनऊ की विरासत…
मेरा दुःख मेरा दीपक है - कविता - गोलेन्द्र पटेल
जब मैं अपने माँ के गर्भ में था वह ढोती रही ईंट जब मेरा जन्म हुआ वह ढोती रही ईंट जब मैं दुधमुँहा शिशु था वह अपनी पीठ पर मुझे और सर पर …
यायावर - कविता - संजय राजभर 'समित'
मैं आत्मा हूँ एक यायावार हूँ चल रहा हूँ अनंत काल से अनंत काल तक। न कभी थकता हूँ न कभी रूकता हूँ, न किसी का न कोई मेरा इंतज़ार करता…
जीवन पथ पर - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
खिली अरुणिमा सुप्रभात लोक, बढ़ चलो मनुज जीवन पथ पर। वर्तमान के पौरुष काग़ज़, लिख दे भविष्य नव स्वर्णाक्षर। चहुँ दिशा दशा सतरंग किरण,…
प्रेम का इंतज़ार - कविता - प्रेम ठक्कर
सुनो दिकु! कुछ इम्तिहान और लगेंगे तुम तक मेरी बात पहुँचाने के लिए पर एक दिन वो वक़्त ज़रूर आएगा। तय करना है सफ़र मिलों दूर का अभी, मेरा प…
लक्ष्यभेद अब करना होगा - कविता - राघवेंद्र सिंह
जीवन के इस महासमर में, तुझको न अब डरना होगा। अर्जुन की ही भाँति तुझे भी, लक्ष्यभेद अब करना होगा। इस शूलित पथ पर तुझको ही, शकुनी-सा छल …
आओ! शहरों में गाँव ढूँढ़ते हैं - कविता - डॉ॰ नेत्रपाल मलिक
आरूढ़ वांछा के रथ पर कंक्रीट के भीड़ भरे पथ पर हो विह्वल आतप से, छाँव ढूँढ़ते हैं आओ! शहरों में गाँव ढूँढ़ते हैं। अय्यारी के चक्रवात से चत…
मौसम का स्वभाव - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
दिन भी अपनी रातें जैसे करता है रंगीन। आँधी ने है बहुत पेड़ों का ख़ून किया। हमने धीरे-धीरे खिलता प्रसून किया॥ भँवरों के हाँथों बाग़ों में…
ये बगिया धोखा खा बैठी - गीत - सुधीर सिंह 'सुधीरा'
शाख़-शाख़ पे उल्लू बैठा, जड़ को दीमक खा बैठी। माली निकला बेपरवाह, ये बगिया धोखा खा बैठी। खिला हुआ गुलशन था देखो अब ये उल्लिस्तान बना, कोय…
और चाहिए क्या मुझे? - कविता - राजेश 'राज'
अपने ही साथ से अपनी सौग़ात से अटूट विश्वास से प्रेम की सुवास से निभाइएगा मुझे? और चाहिए क्या मुझे? एक आवाज़ पर एक ही साज पर एक ही चाह…
जीवन संगीत है - गीत - जयप्रकाश 'जय बाबू'
जीवन संगीत है गुनगुनाना तुम, बीत रहा हर पल मुस्कुराना तुम। लेकर फूलों से ख़ुशबू अपना तन मन महकाना, लेकर पवन से ताज़गी हरदम खिल-खिल …
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