जीवन पथ पर - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

खिली अरुणिमा सुप्रभात लोक, 
बढ़ चलो मनुज जीवन पथ पर। 
वर्तमान के पौरुष काग़ज़, 
लिख दे भविष्य नव स्वर्णाक्षर। 

चहुँ दिशा दशा सतरंग किरण, 
प्रतिबिंब लालिमा प्रगति परक। 
चहके विहंग खोले सुपंख, 
उन्मुक्त उड़े जीवन अविरत। 

पुरुषार्थ सुपथ कल्याण जगत, 
सम्मान राष्ट्र रक्षण पथ पर। 
शिक्षा दीक्षा चहुँ ज्योति सुलभ, 
रोज़गार परक युवजन हितकर। 

रविकान्त कान्ति कमलें कुसमित, 
हरित भरित धरा नव प्रगति शिखर। 
जलपूर्ण सरसि सरिता निर्झर, 
सोपान समुन्नति कीर्ति सफ़र। 

नव उमंग भोर उल्लास विमल, 
अरुणाभ ईश अभिनंदन पथ। 
संकल्प अटल उद्देश्य पटल, 
धेय राष्ट्र धर्म बढ़ जीवन रथ। 

तज अतीत बढ़ निर्भय संबल, 
बस वर्तमान निर्माणक पथ। 
आगम भविष्य नव लिख दो ख़त, 
अनमोल धरोहर जीवन पथ। 

दे शान्ति प्रेम नव भोर किरण, 
समता निर्भेद मिले सब पर। 
समरस सद्भावित परहित मन, 
शुभमंगल यायावर पथ पर। 


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