अपने ही साथ से
अपनी सौग़ात से
अटूट विश्वास से
प्रेम की सुवास से
निभाइएगा मुझे?
और चाहिए क्या मुझे?
एक आवाज़ पर
एक ही साज पर
एक ही चाह पर
एक ही राह पर
गुनगुनाइएगा मुझे
और चाहिए क्या मुझे?
हल्की ही वाह से
बड़ी परवाह से
भार सहते हुए
वक़्त रहते हुए
पाइएगा मुझे
और चाहिए क्या मुझे?
मीठी मुस्कान ले
प्रीत के गान ले
कल के अरमान ले
मन में ईमान ले
बुलाइएगा मुझे
और चाहिए क्या मुझे?
राजेश 'राज' - कन्नौज (उत्तर प्रदेश)