एक बार जो टूट गया तो - कविता - प्रवीन 'पथिक'
गुरुवार, जून 22, 2023
एक बार जो टूट गया तो,
शायद ही जुड़ पाएगा!
प्रेम या जीवन के सपनें,
हुए पराए जो थे अपने।
ऑंखें खोई हो आकाश में,
न उर पीड़ा मिट पाएगा।
एक बार जो टूट गया तो,
शायद ही जुड़ पाएगा!
अभी तो लक्ष्य,
दिखता स्पष्ट है।
समीप है मंज़िल,
नहीं दूरस्थ है
साहस अभी बची हुई है;
उम्मीद भी नहीं खोई है;
हार यदि जो मान लिया,
हारा ख़ुद को जान लिया,
तो सब कुछ यूँ छूट जाएगा।
एक बार जो टूट गया तो,
शायद ही जुड़ पाएगा!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर