संदेश
नज़रिया - कविता - बृज उमराव
सोच और व्यक्तिगत नज़रिया, नज़र नज़र की बारी है। कोई कहता भरा हुआ है, कोई कहता खाली है।। दृष्टिकोण है अपना अपना, नपी नज़र का पैमाना। इसी नज़…
वैदिक शास्त्रों का सार - कविता - गणपत लाल उदय
वैदिक शास्त्रों में सार समाहित पढ़ता देश सारा, १८ अध्याय एवं ७०० श्लोक से ग्रन्थ बना प्यारा। हर समस्याओं का उत्तर है श्रीमद्भागवत गीता…
व्यवधान - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
व्यवधान अनेकों जीवन में, रह-रह कर उपजा करते हैं। हम मन को थोड़ा समझाते हैं, और वक़्त से सुलहा करते हैं। तनिक साँस तो लेने दो, इम्तेहान प…
उसकी कैसी जीवन रेखा - कविता - राघवेंद्र सिंह
जो लड़ा नहीं है लहरों से उसने कैसा सिंधु देखा, जो आत्म विभूषित हुआ नहीं उसकी कैसी जीवन रेखा। जो बढ़ा नहीं है पथ पर तो वो क्या जाने संघ…
बात - दोहा छंद - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
कौन कहाँ अति बोलता, कौन कहाँ सहि लेत। सहिष्णुता भारी पड़ी, चक्रवात सम बेंत।। बात होत है मधुकरी, प्राण देय बल गात। अपशब्दन की कोठरी, जस…
दहेज प्रथा - कविता - अभिषेक विश्वकर्मा
एक ओर हैं फेरे चलते, एक ओर बेटियाँ जलती है, दहेज नहीं! तो मारा उसको, ये कैसी रीतियाँ पलती हैं। पिता कमाता पूरा जीवन अपनी बेटी के ख़ातिर…
प्यारा-प्यारा हिन्द देश - देव घनाक्षरी छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
प्यारा-प्यारा हिंद देश, भिन्न-भिन्न भाषा वेश। पर रहती एकता, बसता उर में वतन।। झंडा रहे सदा ऊँचा, चाहे ये देश समूचा। भारत माता का शीश, …
स्मृति के चेहरे - कविता - रवि तिवारी
स्मृतियों के भी चेहरे होते है, अच्छी स्मृतियाँ होती है नदी जैसी और छिछली जिसमे डूब कर भी हम आधे हक़ीक़त पर। रहते है। बुरी स्मृतियाँ सागर…
सफ़र ज़िंदगी का - कविता - सुनील माहेश्वरी
सफ़र ज़िंदगी का, थोड़ा कठिन होता है, मगर समझने के लिए, एक सबक़ होता है। यात्राएँ तो एक जगह बदलाव है, पर धूप से ओझल दिखती यही तो एक छाँव …
हम हैं परिंदे - कविता - अर्चना कोहली
भले ही हम सब छोटे-से परिंदे कहलाते हैं, लेकिन संघर्ष-ताप से कभी नहीं घबराते हैं। नन्हे-नन्हे पंखों से क्षितिज को पार कर लेते, अन्न-पान…
कासे कहूँ - लोकगीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जब से लड़े नैना तोसे सजनवा, बैरन भयी है दुनियाँ हमार। 2 कासे कहूँ मैं हाल जिया का, कासे छुपाऊँ पिया तोरा प्यार। जबसे लड़े... 2 तोहरी लगन…
रोम-रोम भर गया अनंग - गीत - प्रीति त्रिपाठी
मन का मकरंद ले गया दे गया है भावना के रंग, प्रीत की सुधीर माधुरी रोम-रोम भर गया अनंग। आँख खोलते ही मींच ली रूप की उजास यूँ पड़ी, छू रही…
माँ की दुआ का सागर - कविता - बीरेंद्र सिंह अठवाल
माँ तू कहे तो मैं काँटों से गुज़र जाऊँ, माँ तेरे सामने अपनी नज़र झुकाऊँ। माँ इस दुनिया में कोई तेरे जैसा नहीं, माँ तेरी दुआ के आगे चले प…
महिला उत्थान - कविता - पशुपतिनाथ प्रसाद
नारी की आई बारी, क़ानून हुआ जारी, मुक्ति मिली है भारी, नारी नहीं बेचारी। बेटी उठाकर बास्ता, स्कूल के चली रास्ता, बनेगी कर्मचारी, नारी क…
तेरी तारीफ़ करना भी यहाँ पर जुर्म ठहरा है - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 तेरी तारीफ़ करना भी यहाँ पर जुर्म ठहरा है, कहाँ जाऊँ मेरे आगे…
बस आप हमे मिल जाइए - कविता - चीनू गिरि गोस्वामी
बस आप हमे मिल जाइए, और हमे आपसे क्या चाहिए। आपको बड़ी मुश्किल से तलाशा हैं, आपको खोने के नाम से दिल डरता हैं। मेरी आँखों को आपका दीदार …
काश तुम समझ पाती - कविता - गौरव पाण्डेय
आसमान की बारिश को कोई रोक न पाए, जाने वाले हमराही को अब कौन समझाए, रिश्तों में कम हुई मिठास कभी नहीं है बढ़ पाती, हमारे इसी रिश्ते को …
मानसिकता - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
पद्मा इन दिनों बहुत परेशान थी। पढ़ाई के साथ साथ साहित्य में अपना अलग मुक़ाम बनाने का सपना रंग ला रहा था। स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय अंतरर…
आदत ये पुरानी है कम-ज़र्फ़ ज़माने की - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
अरकान : मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन मफ़ऊलु मुफ़ाईलुन तक़ती : 221 1222 221 1222 आदत ये पुरानी है कम-ज़र्फ़ ज़माने की, करता है सदा कोशिश उठते को गिरान…
एकांतवास - कविता - अवनीत कौर 'दीपाली सोढ़ी'
दुनिया की इस भीड़ में इतनी मग्न कि ख़ुद को समझना भूल गई ख़ुद क्यों हूँ? क्या हूँ? हूँ भी या नहीं? ख़ुद को निरखना भूल गई। एक दिन यूँ ही सम…
मेरी अधूरी रचना - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव
मेरी अधूरी रचना जो पूर्ण करनी है मुझे, है भरी उम्मीद से जो बात लिखनी है मुझे। हो राष्ट्र मेरा सोने सा हर ओर ही समृद्धि हो, लहलहाते खेत…
दर्द पलकों में छुपा लेते हैं - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 22 दर्द पलकों में छुपा लेते हैं, आग सीने में दबा लेते हैं। जिस्म ढकने को भले हों च…
ज़मीन - कविता - रमाकांत सोनी
जो ज़मीन से जुड़े रहे संस्कार उन्हीं में ज़िंदा है, देशद्रोही ग़द्दारों से हमारी भारत माता शर्मिंदा है। हरी भरी हरियाली धरती बहती मधुर बय…
पाप पुण्य - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
पाप पुण्य परिभाषा जग में, कर्म फलित मानक होता है। मानदण्ड वे संस्कार मनुज, सदाचार धारक होता है। सत्संगति चलता जीवन पथ, सत्कर्म पुण्य ब…
जन्म दिवस की मंगलकामना - गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'
ख़ुशियों की सौग़ात लिए जन्म दिवस तुम्हारा आया है। नित नूतन तुम काज करो, कल नहीं तुम आज करो। सबको हरदम प्यार करो, हर दिल पर तुम राज करो। …
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