नारी की आई बारी,
क़ानून हुआ जारी,
मुक्ति मिली है भारी,
नारी नहीं बेचारी।
बेटी उठाकर बास्ता,
स्कूल के चली रास्ता,
बनेगी कर्मचारी,
नारी की आई बारी।
ऑफिस में सरकारी,
मिली है हिस्सेदारी,
अब न रही पिछाड़ी,
नारी की आई बारी।
जीवन की भारी गाड़ी,
नर संग मिलके नारी,
बना दी चमत्कारी,
नारी की आई बारी।
डगर कठिन है सारी,
फिर भी नारी न हारी,
सब कुछ नारी सुधारी,
नारी की आई बारी।
लिखा पशुपतिनाथ,
जो न देंगे साथ,
वो कहलाएँगे अनाड़ी,
नारी की आई बारी।
पशुपतिनाथ प्रसाद - पश्चिम चंपारण (बिहार)