वैदिक शास्त्रों का सार - कविता - गणपत लाल उदय

वैदिक शास्त्रों में सार समाहित पढ़ता देश सारा,
१८ अध्याय एवं ७०० श्लोक से ग्रन्थ बना प्यारा।
हर समस्याओं का उत्तर है श्रीमद्भागवत गीता में,
मित्र बनकर श्री कृष्ण ने दिया अर्जुन को सहारा।।

आत्मा ही परमात्मा जो सदैव ही होती अविनाशी,
जिसका ना कभी जन्म होता और न कभी मरण।
मृत्यु है एक सच्चाई लेकिन यह कभी नही मरती,
जिसकी व्याख्या ख़ुद किए है भगवान श्री कृष्ण।।

परेशानी से न घबराना नही इससे विचलित होना,
कर्म ही होता असली भाग्य इससे भविष्य बनता।
अर्जुन को उपदेश देकर श्रीकृष्ण ने उन्हें जगाया,
भाग्य भरोसे रहने से कभी कुछ भी नही मिलता।।

ज्ञान भक्ति एवं कर्म योग में सबसे श्रेष्ठ कर्म योग,
इसमें भी सर्वश्रेष्ठ है निष्कर्म निस्वार्थ ये सहयोग।
तेरा व मेरा अमीर-ग़रीब सुख-दुःख बदलते रहते,
पैरों तलें मंज़िल होंगी जब लेंगे सद्कर्म उपयोग।।

बात ये समझाई श्रीकृष्ण ने श्लोक के माध्यम से,
५००० ईसा पूर्व भगवान कृष्ण जी उपदेश दिया।
आत्मा को ना शस्त्र काटता न आग जला सकती,
अजर-अमर होती आत्मा ऐसा रहस्य समझाया।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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