मेरी अधूरी रचना - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव

मेरी अधूरी रचना जो
पूर्ण करनी है मुझे,
है भरी उम्मीद से
जो बात लिखनी है मुझे।

हो राष्ट्र मेरा सोने सा
हर ओर ही समृद्धि हो,
लहलहाते खेत हो
भरपूर जल की वृष्टि हो।

न कोई क्षेत्र सूखा हो
न कही पर बाढ़ हो,
न सुनामी हो कही
न भूकंप की मार हो।

हर धर्म में सौहार्द हो
हर ह्रदय में बस प्यार हो,
न ग़रीब, न धनवान हो
हर व्यक्ति एक समान हो।

जो सुना था रामराज्य
वो देख पाए हम सभी,
न सिर्फ़ पुस्तक में पढ़े
वो जी भी पाए हम सभी।

और भी अरमान है
रचना पूर्ण करने को,
बस एकजुट हो जाए हम
साथ दे जो हर कोई।

मेरी अधूरी रचना वो
पूर्ण होगी उस वक़्त ही,
जब देश मेरा फिर से बन
जाएगा चिड़िया सोने की।

आर्तिका श्रीवास्तव - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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