बस आप हमे मिल जाइए - कविता - चीनू गिरि गोस्वामी

बस आप हमे मिल जाइए,
और हमे आपसे क्या चाहिए।
आपको बड़ी मुश्किल से तलाशा हैं,
आपको खोने के नाम से दिल डरता हैं।
मेरी आँखों को आपका दीदार चाहिए,
रोज़ चाहिए और सुबह शाम चाहिए,
बस आप हमे मिल जाइए,
और हमें आपसे क्या चाहिए। 

दुआओं मे माँगा हैं आपको,
राधा की तरह इंतज़ार किया।
मीरा की तरह इबादत की, 
मेरे दिल को सुकून मिल जाए।
बस आप हमे मिल जाइए, 
और हमें आपसे क्या चाहिए।

आप मेरे दिल की आरज़ू हो,
दिल ने जो की वो फ़रमाइश हो।
मेरी दिल की ये ख़्वाहिश पूरी हो जाए ,
आपके दिल मे मेरे लिए गुंजाइश हो जाए।
बस आप हमे मिल जाइए,
और हमे आपसे क्या चाहिए।

आपकी वफ़ा की हमे चाह है,
आपके दिल तक जाए वो मेरी राह हैं।
आपके इश्क़ मे बीमार हूँ, 
मुझे मोहब्बत की दवा चाहिए।
बस आप हमे मिल जाइए,
और हमे आपसे क्या चाहिए।

आपके हाथ मे हाथ हो मेरा,
आपके कांधे पर सिर हो मेरा।
मेरे दिल की ये ही ख़्वाहिश हैं,
और इस पागल को क्या चाहिए।
बस आप हमे मिल जाइए,
और हमे आपसे क्या चाहिए।

चीनू गिरि गोस्वामी - देहरादून (उत्तराखंड)

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