स्मृति के चेहरे - कविता - रवि तिवारी

स्मृतियों के भी
चेहरे होते है,
अच्छी स्मृतियाँ
होती है नदी जैसी
और छिछली
जिसमे डूब कर भी
हम आधे हक़ीक़त पर।
रहते है।

बुरी स्मृतियाँ
सागर की गर्त होती है
जिसमे डूब कर आदमी
दुबारा हक़ीक़त 
में वापस नहीं
आ पाता।

रवि तिवारी - अल्मोड़ा (उत्तराखंड)

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